देहास जाळण्याला मी ही अधीर नाही.. लेखनाचा धागा |
दुसरबीडकर |
Jan 14 2017 - 8:04pm |
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देहास जाळण्याला मी ही अधीर नाही.. लेखनाचा धागा |
दुसरबीडकर |
Jan 14 2017 - 8:04pm |
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इरेला पेटला आहे पिसारा लेखनाचा धागा |
अ. अ. जोशी |
Jan 14 2017 - 8:04pm |
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हकनाक वेदनांचा येथे जमाव बसतो.. लेखनाचा धागा |
दुसरबीडकर |
Jan 14 2017 - 8:04pm |
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वारे जरासे गातील काही... लेखनाचा धागा |
अ. अ. जोशी |
Jan 14 2017 - 8:04pm |
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तुझे घन आजही बरसून माझी आसवे गेले लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:04pm |
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माझ्यात राहुन जगतात बाबा..! लेखनाचा धागा |
अ. अ. जोशी |
Jan 14 2017 - 8:04pm |
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कशाला वाण पेरू अन कशाला पीक मागू मी लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:03pm |
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विठ्ठलाचे काही शेर लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:03pm |
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काय ज्वाळेतून केव्हा धूर येतो रे धुराड्या लेखनाचा धागा |
वैवकु रीटर्न्स |
Jan 14 2017 - 8:03pm |
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माझ्या मनातले घर कोंदट. . लेखनाचा धागा |
दुसरबीडकर |
Jan 14 2017 - 8:03pm |
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वाटले तर मी उद्या शिंपीन माझे रक्तही लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:03pm |
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सुटेल हातचे असा करू नये उशीरपण ... लेखनाचा धागा |
अ. अ. जोशी |
Jan 14 2017 - 8:03pm |
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का सुरू केली मनाची फट्फटी लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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साग़रसाहेब लेखनाचा धागा |
समीर चव्हाण |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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जसे कंबरेवर तुझे हात.. लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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हुंदका उरातच गोठवायचा आहे लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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जो येतो तो झोपून उताणा जातो लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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आता बसता-उठता विठ्ठल लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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कोकणात आहे मी लेखनाचा धागा |
वैवकु रीटर्न्स |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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चला.., असाही एक वाढदिवस... लेखनाचा धागा |
अ. अ. जोशी |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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आवाहन : कै. सुचेता जोशी स्मृतिप्रीत्यर्थ काव्यस्पर्धा : पुणे लेखनाचा धागा |
अ. अ. जोशी |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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सुरू होतील आता वादळे माझ्या विचारांची लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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जन्म एक मध्यरात्र वाटतो लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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वळुन जे बघतेस त्याचा त्रास होतो लेखनाचा धागा |
अ. अ. जोशी |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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जगासारखे का तुझे पोर नाही लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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एक माणूस तुझ्या आत उभा आहे जो लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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या इथे कधी काळी देखणे शहर होते (तरही) लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:02pm |
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इतकेही लाभत आहे हेही छानच आहे की लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:01pm |
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पुढेमागे कुठे असशील काही माहिती नाही लेखनाचा धागा |
वैवकु |
Jan 14 2017 - 8:01pm |
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