लेखनसुविधा
Submitted by vishal maske on 24 November, 2015 - 08:11
शांत-अशांत
Submitted by पुरंदरे शशांक on 24 November, 2015 - 04:59
शांत-अशांत
घुसमटता अवघे रान
अवघडली पाने सारी
गोठला श्वास वार्याचा
त्या कलत्या सांजकिनारी
निश्चळता निथळत होती
झाडीत गर्द विणलेली
पक्ष्यांच्या पंखांमधूनी
थरथरता हिरावलेली
पायवाट एकुटवाणी
डोहाशी स्थिरावलेली
जललहरी विरामलेल्या
काठावर रेती ओली
किरकिरते रानही स्तब्ध
निस्तरंग सारी पाती
कोल्हाळ निमाला वरचा
अंतरात खळबळ होती .....
विषय:
शब्दखुणा:
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Submitted by vishal maske on 24 November, 2015 - 02:26
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Submitted by vishal maske on 23 November, 2015 - 08:20
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Submitted by vishal maske on 23 November, 2015 - 01:36
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Submitted by vishal maske on 22 November, 2015 - 08:48
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Submitted by vishal maske on 22 November, 2015 - 04:53
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Submitted by vishal maske on 21 November, 2015 - 20:35
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Submitted by vishal maske on 21 November, 2015 - 01:24
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Submitted by vishal maske on 20 November, 2015 - 20:32