पूर्णकाम

पूर्णकाम !

Submitted by पुरंदरे शशांक on 2 November, 2014 - 22:33

पूर्णकाम !

नामाचा गजर | विठ्ठल विठ्ठल |
सुखचि केवळ | तुकयासी ||

हाकारी सदैव | विठू धाव आता |
पातला तो स्वतः | देहूग्रामी ||

का रे आरंभिला | नामाचा गजर |
रात्रंदिन थोर | सांगे मज ||

काय उणे तुज | काय देऊ बोल |
देव उताविळ | पुसतसे ||

तुका हासतसे | विठ्ठलाच्या बोला |
म्हणे जीव धाला | तुझ्या नामे ||

आता काही नसे | संसारी मागणे |
एक तेही उणे | असेचिना ||

अवघा भरला | तूच जळी स्थळी |
उणीव वेगळी | काय सांगो ||

तुकयाच्या मुखे | अमृताची बोली |
स्वये ती चाखली | विठ्ठलाने ||

जागोजागी जन | मागताती काही |
विरळाचि पाही | तुकोबा तू ||

न मागे काहीच | ऐसा पूर्णकाम |

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