पूर्णकाम !
नामाचा गजर | विठ्ठल विठ्ठल |
सुखचि केवळ | तुकयासी ||
हाकारी सदैव | विठू धाव आता |
पातला तो स्वतः | देहूग्रामी ||
का रे आरंभिला | नामाचा गजर |
रात्रंदिन थोर | सांगे मज ||
काय उणे तुज | काय देऊ बोल |
देव उताविळ | पुसतसे ||
तुका हासतसे | विठ्ठलाच्या बोला |
म्हणे जीव धाला | तुझ्या नामे ||
आता काही नसे | संसारी मागणे |
एक तेही उणे | असेचिना ||
अवघा भरला | तूच जळी स्थळी |
उणीव वेगळी | काय सांगो ||
तुकयाच्या मुखे | अमृताची बोली |
स्वये ती चाखली | विठ्ठलाने ||
जागोजागी जन | मागताती काही |
विरळाचि पाही | तुकोबा तू ||
न मागे काहीच | ऐसा पूर्णकाम |
पावलो विश्राम | स्वभावे मी ||
विठ्ठल सुखावे | ऐशा तृप्त भावे |
पूर्णता स्वभावे | तुक्या ठायी ||
पूर्ण ब्रह्म स्वये | प्रत्यक्ष प्रगटे |
पूर्णता जे देते | भ्रांतासही ||
ज्यासी वाटे ऐसी | पावावी पूर्णता |
टेकावा तो माथा | तुका पायी ||
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वा, फारच छान रे >>>तुकयाच्या
वा, फारच छान रे
>>>तुकयाच्या मुखे | अमृताची बोली |
स्वये ती चाखली | विठ्ठलाने ||
जागोजागी जन | मागताती काही |
विरळाचि पाही | तुकोबा तू ||<<< हे फारच भिडले, जिओ
खूपच छान रचना !!
खूपच छान रचना !!
अवल, आशिका - मनापासून धन्यवाद
अवल, आशिका - मनापासून धन्यवाद ...
अप्रतिम !!
अप्रतिम !!
सुंदर
सुंदर
विक्रांत, अमेय - धन्यवाद ....
विक्रांत, अमेय - धन्यवाद ....
अप्रतिम . न मागे काहीच |
अप्रतिम .
न मागे काहीच | ऐसा पूर्णकाम |
पावलो विश्राम | स्वभावे मी ||
या ओळी फारच आवडल्या .
अप्रतिम !!
अप्रतिम !!
विठ्ठल सुखावे | ऐशा तृप्त
विठ्ठल सुखावे | ऐशा तृप्त भावे |...
वा वा.
अगदी देवानं मागून घ्यावा असा भक्तं चितारलास की... जियो, शशांक.
अतिशय सुरेख!
अतिशय सुरेख!