Submitted by omkar_keskar on 7 May, 2021 - 00:03
मन करा मोठे | कळ काढा थोडी |
सुटतील कोडी | आयुष्याची ||
सर्वां ठाव आहे | बिकट हे पर्व |
संपेल हे सर्व | लवकरी ||
गेले किती काळ | झटती डॉक्टर्स |
जोडीने त्या नर्स | सदोदित ||
देश झाला बंद | ठप्प चराचर |
उभा बांधावर | शेतकरी ||
कित्येकांचे आता | प्रवास थांबले |
जीवन संपले | एकाएकी ||
एकीमागे आता | दुसरीही आली |
पळापळ झाली | सकलांची ||
आता सर्वकाही | ऑनलाईन हाती |
निर्मियली नाती | तिकडेची ||
आता या काळी | जात नामशेष |
एकच विशेष | मानवाची ||
रक्त आणि प्लाझ्मा | महत्वाचे आता |
या दोन्हींचा दाता | महानची ||
यंदाही विठ्ठला | भेट ना होणार |
कसे जमणार | तुला तरी ||
मायेचा सागर | तेथ वर आहे |
सर्वांकडे पाहे | एकटक ||
शोभे महाराष्ट्रा | संयम हा गुण |
लावू परतून | विषाणूला ||
- ओंकार केसकर
Groups audience:
Group content visibility:
Use group defaults
शेअर करा
कित्येकांचे आता | प्रवास
कित्येकांचे आता | प्रवास थांबले |
जीवन संपले | एकाएकी || >
छान अभंग रचना..!!
छान अभंग रचना..!!
छान.
छान.
धन्यवाद !!!!
धन्यवाद !!!!
आहाहा !!
वा !!