विठ्ठला

अभंग रचना

Submitted by omkar_keskar on 7 May, 2021 - 00:03

मन करा मोठे | कळ काढा थोडी |
सुटतील कोडी | आयुष्याची ||
सर्वां ठाव आहे | बिकट हे पर्व |
संपेल हे सर्व | लवकरी ||
गेले किती काळ | झटती डॉक्टर्स |
जोडीने त्या नर्स | सदोदित ||
देश झाला बंद | ठप्प चराचर |
उभा बांधावर | शेतकरी ||
कित्येकांचे आता | प्रवास थांबले |
जीवन संपले | एकाएकी ||
एकीमागे आता | दुसरीही आली |
पळापळ झाली | सकलांची ||
आता सर्वकाही | ऑनलाईन हाती |
निर्मियली नाती | तिकडेची ||
आता या काळी | जात नामशेष |
एकच विशेष | मानवाची ||
रक्त आणि प्लाझ्मा | महत्वाचे आता |

सार्थक

Submitted by दत्तात्रय साळुंके on 31 October, 2017 - 05:53

सार्थक

बहुत जाहले | मनाचे चोचले |
नासविले देहा | संसारसुखे ||

धावलो धराया | वारीयासी हाती |
कपाळमोक्ष तो | नित्याचाची ||

जीव जडीयेला | जडाचेयी ठायी |
स्थिरता चित्ती | कैची यावी ||

विस्तवासीसंग | जाळी अंग अंग |
मैत्र असू द्यावे | संतासी ||

मारियल्या हाका | मागितल्या भिका |
नाही उमगलो | स्वस्वरुपा ||

परमार्थ साधता |निवला हा जीव |
मिटली व्याधी | हव्यासाची ||

शेवटी मागणे| मिटो देहभान |
तुझे पायी चित्त | होवो लीन ||

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