गुस्सा भी तुम्ही पर होता हूं.. प्यार भी तुम्ही से करता हूं।.....
तु अल्फ़ाज़ सी मेरी
हर नज़्म में बसती है।
मैं जरा सा मुस्कुराता हू
और तू खिलखिलाकर हसती है।
तु सताती रहती है
मैं जताता रहता हू।
गुस्सा भी तुम्ही पर होता हू।
मैं प्यार भी तुम्ही से करता हूं।....
हर शाम ढलती है
तो इक रात सी होती है।
कोई नही होता साथ
बस तेरी याद ही होती है।
हर नज़्म में
मैं तेरा जिक्र करता हू।
जब पास तू नही होती
तेरी फिक्र करता हू।
गुस्सा भी तुम्ही पर होता हू।
मैं प्यार भी तुम्ही से करता हू।....
तुझे छू कर आने वाली हवा से
मेरी हर सांस बनती है।