|| विरळा वारकरी ||
Submitted by पुरंदरे शशांक on 26 July, 2013 - 05:32
|| विरळा वारकरी ||
तुका ज्ञानियाचा |
शब्द अमृताचा |
तोचि एक साचा |
मानूनिया ||
अभ्यासितो नित्य |
कळावया सत्य |
येर सारे मिथ्य |
सांडूनिया ||
राहतो जागृत |
आत दिनरात |
बळ ते राखीत |
भक्तिचेच ||
ध्यातसे निर्गुण |
पूजीतो सगुण |
मानूनी वचन |
संतांचेच ||
न जाता तीर्थासी |
न सोडी गृहासी |
तद्रूप विठूसी |
होत भला ||
जीवभाव सारी ।
हीच मानी वारी ।
ऐसा वारकरी ।
विरळाच ।।
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