पहिला - किती काथ्याकूट चालला होता.. त्या शेफ+अली बाई वरती किती हल्ला माजवला या लोकांनी...
दुसरा - तूच बघ. ह्यांना सर्वसमावेशक लिखाण, सणवार, समाज,असावा असं वाटतंय आणि ज्या बाईच्या नावाच्या स्पेलिंग मधेच ALI अली आहे, तिच्या विरुद्ध आगपाखड चाललीय.
पहिला - त्या बाईला पण हे कुठे ठाऊक आहे? सगळे कसे तुटून पडले होते ना....?
दुसरा - होय. पण वाती रांबोले ने जो मुद्दा उचलला तो करेक्ट आहे. आपण एवढी संकुचित मनोवृत्ती बाळगण्यात काय हंशिल? ते ही आता एकविसाव्या शतकात? मला तर अशी संकुचित मनोवृत्ती बाळगणाऱ्या जीव जंतूंची किंव येते. दे बार्क ऑन अ राँग ट्री...
पहिला - अरे ती, ती मी ती मी एरोटिकेला एक ही कमेंट नाही.
दुसरा - गाडीले किका माल्ल्या, पन तिच्यात प्रेटोलस नवत, तिच्यासमोरच मिट्टू पल्ला राजा! वाचनाऱ्याले रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्सच नाहीत त्यामुळे कमेंट लिहिणार काय? तिच्यात जूस्स बी नाई...!
पहिला - खरंच की... हिपक्रिट्स....! ये भी पढ़ा क्या?
दुसरा - हां यार, बहुत लोगोंको मिर्ची लगी और चार लोगोंके सिवा किसीने कमेंट किया ही नहीं। और सुन, भई मेरे, हिन्दीमे बात मत कर। यहां दीवार के भी कान होते है।
पहिला - अरे छोड़, मराठी साहित्य सम्मेलन का चीफ गेस्ट तो जावेद अख्तर था और हिंदीउर्दू में भाषण ठोक दिया। क्या हुवा?
दुसरा - भई, जावेद के नाम में ही वेद है, और अध्यक्ष कौतुकराव ठाले पाटील था इसीलिए। ये कौतुकराव ही कर सकता है, करवटे और कल्लेवाले में भी हिम्मत है। जो यहां हिंदी लिखेगा उसको उड़ा नही देते। लेकिन कई बम बोले सोला साल पहले वाला रूल बताते है, सिर्फ मराठी के लिए है। हाहाहा sss बम् बोले... हाहाहा sss!
पहिला - भौं... काऊन यकटाच हासून रायला मुक्रीमुक्री? मले सांग न?
दुसरा - एकही रामबोले है तो बाकी सब बम बोले....दे स्पीक विथ देर बंम्... फॉर एक्सांपल, अमेरिकन बोंब्ज ऑन जपान... साहिरने फिर सुबह होगी साठी लिहिलेल्या एका गाण्यातली ओळ अशी... 'हो रही है लूटमार फट रहे हैं बंम्' ..... हाहाहा sss...फट रहे हैं बंम्....! अमरिकाने अफ़ग़ानिस्तान पर की भारी बमबारी.... किती वाती पेटवल्या... किती बॉम्बस्फोट केले.... बाप रे...!
पहिला - इनको ये रूल बदलना चाहिए। ये रुल बदल सकती है सिर्फ वाती। मराठी सारेगममें अन्नू कपूर आकर हिंदी बोलता है, और सब सदाशिव पेठ वालें तालियां बजाते हैं। और अभी बारा दिसंबर को दानापुर में मराठी बोली साहित्य सम्मेलन हुआ जिसकी शुरुवात नीमा अरोरा ने की। अरोरा नाम तो मराठी नही है ना? मायक्रोसॉफ्ट सीईओ सत्या नाडेला, गुगल - सुंदर पिचाई, ट्विटर - पराग अगरवाल, अरविंद कृष्णा - आयबीएम, शांतनू नारायण - अडोब, सूरी - नोकिया, नरसिंहन् - नोवार्तिस्, इंद्रा नुई - पेप्सिको, संजय झा - ग्लोबल फाउंडरी, पालिवाल -हर्मन, बग्गा -मास्टरकार्ड, पद्मश्री वारियर- एनआयओ.... किधर है मराठी माणुस? मायबोलीपे भरे पड़े हैं। महमूद गजनवी, वो सोमनाथ मंदिर का वाट लगाया वो, उसका आर्मी जनरल तो हिन्दू था, पता है?
दुसरा- तिलक राय नाम था उसका। अब्दुर्रहीम खानखाना जो अकबर का एक सेनापति था, बहुत बड़ा कवी था। संस्कृत, हिंदी, ब्रज भाषा में लिखता था। रहीमन नाम से उसके दोहे तो काफ़ी मशहूर है भई। उसने ये सारी भाषाएं अपना ली। वो अगर "ब्रजबोली" ऐसा कुछ वेबसाइट लॉन्च करता तो ब्रज के साथ, हिन्दी, संस्कृत, पर्शियन, उर्दू ऐसी कई भाषाएं अपना लेता।
पहिला - हां यार, और यहाँ वाले इतने नैरो माइंडेड, बाकी भाषा छोड़, एक हिंदी को अपना नही सकते। "अमा" यार, मराठी छोड़कर सबसे परहेज़। सब भाषा अपनाते तो प्रतिलिपि को टक्कर मारते।
दुसरा- चल भौं, बहुत तीर मार लिए। ये पढ़ेंगे तो सब काव काव करके टूट पड़ेंगे।
पहिला - हां भौं, उलीशासाटी इतली मोटी रिक्स.
दुसरा - याटीटूट दाकवून बिनकामाची बदलामी.
पहिला - ये तेरे भेजेको पंचर करेंगे। मायबोली अस्पताल मे मरिजसे मिलने बिस्कुट फिस्कुट, फ्रूट वुट लेके जानेका नई। भोत बार मरीज ही बे-जबरन की बात करते और ग्यान पेल देते है। अम्मा लोग तो जबरन। भई मिलनेके वास्ते आ टपकेला अच्छा खासा आदमी यहांसे भाग जाए या बीमार बन जाये…। इनका ग्यान सुनकर अच्छे अच्छे सुरमा यहाँसे चलते बने।
दुसरा - तो चल फिर। ये सब हिंदी पढ़कर यहांके केनाइन्स पीछे दौडनेसे पहलेही पतली गली से निकल जाएंगे और चलते बनेंगे।
पहिला - केनाइन्स मतलब?
दुसरा - अपने मुहमे ड्रैकुला जैसा दांत होता है वो, काटनेके लिए, और दूसरा मतलब....
चल छोड़... समझने वाले समझ गए है, ना समझे....
पहिला - वो अनाड़ी है...। लेकिन जावेद अख्तर ने नासिक में क्या कहा पता है?
दुसरा - नही तो...
पहिला - उसने कहा, " जो बात कहनेसे डरते हैं सब तू वो बात लिख, इतनी अंधेरी न थी कभी रात, तू लिख, तू लिख....
.......
(No subject)
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