Submitted by पुरंदरे शशांक on 27 March, 2013 - 23:09
सत्संगती
श्वासोच्छ्वासी नाम | जपे सर्व काळी | वारी ती आगळी | साधे ज्याला ||
न लगे जावया | अन्य पुण्यक्षेत्री | अवघी धरित्री | तीर्थरूप ||
व्यापूनिया चित्ती | नित्य समाधान | वाटे धन मान | तृणवत ||
अंतरी संतत | ध्यातो भगवंत | होय मूर्तिमंत | संत भला ||
लाभावी अशाची | नित्यचि संगती | याविण विनंती | नाही दुजी ||
(श्री तुकोबारायांचरणी सादर समर्पण)
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apratim, apale ayushya
apratim, apale ayushya badalwun taknari sarwat mothi gosht mhanjech apali sangat, ani ti satsangat asawi he tumhi atishay samarpak shabdat mandalyabaddal thanks.
अप्रतिम. पोचली. राजश्रीला
अप्रतिम. पोचली. राजश्रीला अनुमोदन.
व्वा, शशांकजी! अगदी मोजक्या
व्वा, शशांकजी!
अगदी मोजक्या शब्दांत खुप काही सांगणारी कविता! खरं तर कविता नाहीच्...अभंगाच्या जवळपास जाणारी कविता
you are in touch with tukoba
you are in touch with tukoba .very nice
छान.... प्रासादिक रचना
छान.... प्रासादिक रचना
राजश्री, अन्जू, मी_आर्या, डॉ
राजश्री, अन्जू, मी_आर्या, डॉ विक्रांत आणि भिडे काका - सर्वांचे मनापासून आभार ....
खुप छान.
खुप छान.