Submitted by दत्तात्रय साळुंके on 31 October, 2017 - 05:53
सार्थक
बहुत जाहले | मनाचे चोचले |
नासविले देहा | संसारसुखे ||
धावलो धराया | वारीयासी हाती |
कपाळमोक्ष तो | नित्याचाची ||
जीव जडीयेला | जडाचेयी ठायी |
स्थिरता चित्ती | कैची यावी ||
विस्तवासीसंग | जाळी अंग अंग |
मैत्र असू द्यावे | संतासी ||
मारियल्या हाका | मागितल्या भिका |
नाही उमगलो | स्वस्वरुपा ||
परमार्थ साधता |निवला हा जीव |
मिटली व्याधी | हव्यासाची ||
शेवटी मागणे| मिटो देहभान |
तुझे पायी चित्त | होवो लीन ||
मजवरी कृपा | इतुकी विठ्ठला |
होइल सार्थक | जन्माचीया ||
शब्दार्थ :-
निवली = शांत झाली
बहुत = खुप
जडाचेयी = नाशिवंत
ठायी = ठिकाणी
दत्तात्रय साळुंके
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सुंदर भाव
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धन्यवाद !
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