नमस्कार मायबोलीकर,
हा माझा पहिलाच प्रयत्न आहे. आपले प्रतिसाद मला पुढील लेखनास प्रवृत्त करतील.
आभारी आहे,
संकुल
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-- सुटका भाग ३ ( अंतिम ) --
"असे कसे वागू शकतात लोक. जग कोठे चाललय आणि हे" कुमार चिडून बोलत होता.