Submitted by चंद्रहास शास्त्री on 1 May, 2024 - 02:59
नमस्कार माझा महाराष्ट्रभूला।।
©️ चन्द्रहास शास्त्री
इथे थोर राजे तसे थोर संत
सुभक्ती सुशक्ती निराळीच माती।
इथे आसमंती निनादे मृदंग
नमस्कार माझा महाराष्ट्रभूला।।
इथे ज्ञान विज्ञानरूपी पताका
इथे दिव्य ओव्या नि गाथा नि दिंड्या।
इथे पेटती संक्रमाच्या मशाली
नमस्कार माझा महाराष्ट्रभूला।।
इथे देव जाते दळायास येई
इथे देव पाणी भरायास येई।
इथे देव लेकूरवाळाचि होई
नमस्कार माझा महाराष्ट्रभूला।।
मराठीत बोला मराठीस वंदा
मनी मान ठेवा भगव्या ध्वजाचा।
कवी चंद्रहासां सदा वंद्य माता
नमस्कार माझा महाराष्ट्रभूला।।
(वृत्त: भुजंगप्रयात)
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