हिंदी-मराठी चित्रपटसंगीत आणि कालगणना (वार, तिथी, महिना, दिनांक, ऋतू इत्यादींचे नामोल्लेख असलेली गाणी)

Submitted by स्वाती_आंबोळे on 12 December, 2021 - 10:48

माझ्याकडून सुरुवात म्हणून पटकन आठवणारी गाणी:

मराठी:
१. कशी झोकात चालली कोळ्याची पोर जशी चवथीच्या चंद्राची कोर
२. श्रावणात घननिळा बरसला
३. भारती सृष्टीचे सौंदर्य खेळे (यात सगळेच मराठी महिने आले आहेत)
४. कधि रे येशिल तू, जिवलगा (यात सगळ्या ऋतूंचे उल्लेख आलेत)
५. नाविका रे, वारा वाहे रे, डौलानं हाक जरा आज नाव रे (आषाढाचे दिस गेले, श्रावणाचा मास सरे, भादवा आला)
६. राम जन्मला गं सखी (चैत्र मास, त्यात शुद्ध नवमि ही तिथी)
७. उगवला चंद्र पुनवेचा
८. चंद मातला (कशी पुनवेची निशा)

हिंदी: (हिंदीत श्रावण / सावन बहुधा प्रामुख्याने येईल असं वाटतंय)
१. एक दो तीन... (सगळ्याच तारखा!) Happy
२. चौदहवी का चाँद हो
३. मेरे नैना सावन भादो
४. सावन के झूले पडे
५.पड गये झूले सावन ऋत आयी रे

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शामे गम की कसम
ये शाम की तनहाईया
वो शाम कुछ अजीब थी
ये शाम मस्तानी मदहोश किये जाय
सवेरे का सूरज तुम्हारे लिये है
रात ने क्या क्या ख्वाब दिखाये
रात कली एक ख्वाब मे आई
कोई हमदम न रहा ( शाम तनहाईकी है)
कुछ ना कहो ( शाम के रंग है ढ्लके)
तेरे मेरे मिलन की ये रैना

धुंद मधुमती रात रे
आज रातीला सपान पडलं
रात भर का है मेहमां अंधेरा किस के रोके रुका है संवेरा।
आज सजन मोहे अंग लगा लो जन्म सफल हो जाए
आज माझ्या अंगणात वसंताचा खेळ
आज गोकुळात रंग खेळतो हरी

जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं
(पतझड में जो फूल मुरझा जाते हैं वो बहारों के आने से खिलते नहीं)

तेरे बिना जिंदगी से कोई
(तुम जो कह दो तो आज की रात...
वैसे तो अमावस पंद्रह दिन की होती है असं तांत्रिकदृष्टीने चुकीचं वाक्यही आहे मधल्या संवादांमधे Wink )

मेरा कुछ सामान
(एकसो सोला चांद की रातें, ..
वो रात बुझा दो )

वो चांद खिला वो तारे हंसे ये रात अजब मतवाली है

या कातर वेळी पाहिजेस तू जवळी.
सायंकाळी एके मेळी द्विजगण अवघे वृक्षी
अरुणोदय होताच उडाले चरावया पक्षी
चल ऊठ रे मुकुंदा झाली पहाट झाली.
प्रभाती सूर नभी रंगती
प्रिये पहा रात्रीचा समय सारूनी येत उष:काळ हा
सांजवेळ ही आपण दोघे अवघे संशय घेण्याजोगे... घननीळालडिवाळा

रैना बीती जाए। बीती ना बिताई रैना
आधा है चंद्रमा रात आधी
पूछो ना कैसे मैं ने रैन बिताई
शाम ढले खिड़की तले
मन क्यों बहका रि बहका आधी रात को
रात भी है कुछ भीगी भीगी

आला थ़ंडीचा महिना झटपट शेकोटी पेटवा

आली संक्रांत इष्काच्या घोड्यावरुन... तिळगुळ घ्या हो गोड गोड बोला
संक्रांत हा ऋतू संबंधी सण असल्याने चालावे

अंधेरा होता है, आधी रात के बाद
एक चोर निकलता है

अंधेरी रातों मे, सुनसान राहों पर
(शहंशाह)

रात के हमसफर, थक के घर को चले

ओ रात के मुसाफिर , चंदा जरा बता दे

आता वाजले की बारा
जीवलगा कधीरे येशील तू

पाऊस आला
कधी बहर कधी शिशीर

सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे
तारों की जबां पर है मोहब्बत की कहानी, ऐ चांद मुबारक हो तुम्हें रात सुहानी
रात भर गर्दिश में साकी आज पैमाना रहे
रात शब्दावरून कितीतरी गाणी आहेत.
रुक जा रात, यह रात भीगी भीगी, ढलती जाए रात, ओ रात के मुसाफिर वगैरे
आली हासत पहिली रात...

जाने क्या बात है, नींद नही आतॉ
बडी लंबी रात है

ये रात ये चांदनी फिर कहां

मुझे रात दिन, अब तेरा ख्याल है

फिर वही रात है

मी रात टाकली

रात बाकी बात बाकी
तडप ये दिन रात कि (आम्रपाली)

आज कि रात मेरे दिल की सलामी ले ले
(दिल म्हणजे हार्ट या अर्थाने )

कई सदियों से कई जनमों से

रात के बारा बजे

जहां चार यार मिल जाएं वही रात हो गुलजार

रातां लंबिया लंबिया हाय

रात के साये तले

रात अकेली है, बुझ गये दिए

रात हमारी तो (परिणिता)

आज को जुनली रात मां

दिल ढूंढता है फिर वही, फुरसत के रात दिन

रात के ढाई बजे

रात्रीस खेळ चाले, हा खेळ सावल्यांचा

तारीख नव्हे पण संख्या असलेली गाणी :
उम्रे दराज मांगकर लाए थे चार दिन। दो आरजू में कट गए दो इंतज़ार में।
तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हो पचास हज़ार।
मैं सोला बरस की तुम सतरा बरस के।
सतरा बरस की कुंवारी कली थी।
हम जब होंगे साठ साल के और तुम होगी पचपन की ।
सौ साल पहले मुझे तुम से प्यार था।

ह्यात भारतीय महिने ऋतु, दिवसाचे प्रहर. रात्र पहाट दुपार वगैरे. ख्रिस्ती काल गणने नुसार महिने असे सब बाफ होउ शकतील..

तसेच दिल आंख चांद शुक्र ( सूरज व्गैरे ग्रह तारे) ह्या वर पण बाफ काढता येतील. मस्त गाणी आहेत.

गैर फिल्मी असे: तुम तो ठहरे परदेस्सी. ह्यात जनवरी ते डिसेंबर प्रेम ते प्रेमभंग अशी वाटचाल दाखवली आहे.

रोज शाम आती थी मगर ऐसी न थी.
रात का समां झुमें चंद्रमा

शाम ए गम की कसम

दिन ढल जाए हाये रात न जाये.
तू तो न आए तेरी याद सताये.

सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था
सौ बार जनम लेंगे
हजार राहे मुडके देखी
या जन्मावर या जगण्यावर शतदा प्रेम करावे
चौदवी का चांद हो
एक प्यार का नगमा है
मेरे नैना सावन भादो
आठशे खिडक्या नौशे दार
जहा चार यार मिल जाये
माघाची थंडी माघाची..
जनवरी फरवरी मार्च एप्रिल....सासू सारा काम करे
एप्रिल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया

हा धागा मिस झाला होता.
अल्ताफ राजाच्या तुम तो ठहरे परदेसी या गाण्यात सगळे महिने आले आहेत...

जब तुम से इत्तेफ़ाकन मेरी नज़र मिली थी
अब याद आ रहा है, शायद वो जनवरी थी
तुम यूं मिलीं दुबारा, फिर माह-ए-फ़रवरी में
जैसे कि हमसफ़र हो, तुम राह-ए-ज़िंदगी में
कितना हसीं ज़माना, आया था मार्च लेकर
राह-ए-वफ़ा पे थीं तुम, वादों की टॉर्च लेकर
बाँधा जो अहद-ए-उल्फ़त अप्रैल चल रहा था
दुनिया बदल रही थी मौसम बदल रहा था
लेकिन मई जब आई, जलने लगा ज़माना
हर शख्स की ज़ुबां पर, था बस यही फ़साना
दुनिया के डर से तुमने, बदली थीं जब निगाहें
था जून का महीना, लब पे थीं गर्म आहें
जुलाई में जो तुमने, की बातचीत कुछ कम
थे आसमां पे बादल, और मेरी आँखें पुरनम
माह\-ए\-अगस्त में जब, बरसात हो रही थी
बस आँसुओं की बारिश, दिन रात हो रही थी
कुछ याद आ रहा है, वो माह था सितम्बर
भेजा था तुमने मुझको, तर्क़-ए-वफ़ा का लेटर
तुम गैर हो रही थीं, अक्टूबर आ गया था
दुनिया बदल चुकी थी, मौसम बदल चुका था
जब आ गया नवम्बर, ऐसी भी रात आई
मुझसे तुम्हें छुड़ाने, सजकर बारात आई
बेक़ैफ़ था दिसम्बर, जज़्बात मर चुके थे
मौसम था सर्द उसमें, अरमां बिखर चुके थे
लेकिन ये क्या बताऊं, अब हाल दूसरा है
अरे वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है

दिन महिने चार

हे कसे विसरलात?
एक दो तीन चार पाच छे सात आठ नौ.
मेल व फीमेल व्हर्जन्स

अच्छा तो हम चलते हैं
फिर कब मिलोगे
जब तुम कहोगे
जुम्मे रात को
हाँ हाँ आधी रात को
कहाँ?
वहीं जहाँ कोई आता जाता नहीं
अच्छा तो हम चलते हैं

चित्रपट : आन मिलो सजना (काकाजी आणि आशा पारेख)

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