Submitted by वृन्दा१ on 23 January, 2017 - 04:45
वही बेरुखी, वही बेफिक्री
दिल तोडने का वही करारा अंदाज
और हमनें सुना था कि
उम्र के साथ पत्थर भी नरम
होने लगते है......
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व्वा! ! ! मस्तच कि....
व्वा! ! ! मस्तच कि....
शेर पण येतात ताइ तुम्हाला???
वृंदाजी for u
वृंदाजी for u
अब कुछ नही बचा रास्तेमे
बस एक उजडा हुवा दरख्त बाकी है....
हम वो पत्थर नही जो वक्त के साथ पिघल जाए
बेदर्द ही सही पर इस सीने मे अभी दिल बाकी है
- मीनल
मीनल,वाह...
मीनल,वाह...