Submitted by अभिदेश on 14 January, 2015 - 13:51
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(४) लहान
०९-१२-२०१४
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जेव्हा होतो मी लहान
ऐकत असे गोष्टी महान ।
ना कळेना ना समजेना
आनंद गगनात मावेना ।।१।।
लहान पण देगा देवा
त्यात सर्वांना आनंद मीळावा ।
नसावी चिंता कशाची
असावी इच्छा मनमुराद जगण्याची ।।२।।
जगता जगता अनुभव आले
चुक बरोबर सांगुन गेले ।
मी माझ्या मर्जिने वागत गेलो
लहानाचा मोठा होत गेलो ।।३।।
जगण्याच्या प्रवासात खुप शिकावे
काहीतरी चांगले करून दाखवावे ।
इतरांना काही तरी चांगले द्यावे
त्यातूनच आपण माणसे जोडावे ।।४।।
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