मेहफिल
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13 वर्ष ago
शेवटचा प्रतिसाद
13 वर्ष ago
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दुनिया की इस मेहफिल मे,
जब बेमेहफिल हो गई थी मै
इक मेहफिल ने अपनाया मुझको,
वो मेहफिल तुम्हारी थी..
जब मुंह फेर लिया मेहफिलसे,
और बंद कर लिये दरवाजे
दरवाजेपे बस दस्तक तुम्हारी थी..
अब खोल के सारे दरवाजे,
जब देख रही हूं ये दुनिया
तो ये नजर भी तुम्हारी है..
अब तो लगता है के शायद मै भी..
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शेवटची पंक्ती सुरेख. हि पण
शेवटची पंक्ती सुरेख. हि पण आवडली.
अब तो लगता है शायद मै
अब तो लगता है शायद मै भी,,,,,,,,,,तुम्हारी हू........असच ना??? मस्त दर्द भरी वाटली
सही आहे.
सही आहे.
बहोत खुब
बहोत खुब
क्या बात है!
क्या बात है!