मन चकव्याचे फूल

Submitted by श्यामली on 29 January, 2009 - 23:18

मन एक सान पक्षी
मन रानभर नक्षी
मन पिसारा पिसारा
मन मोठाच पसारा

मन भीती मन प्रिती
मन भुणभूण किती
मन आठवे साठवे
पुन्हा जुनेच नव्याने

मन कैरीची गं फोड
नाही कसलीच तोड
मन साजण साजण
गाली चढते तोरण

मन माय मन तात
मन सखीचा गं हात
मन जखम जखम
मन घालते फुंकर

मन भास मन त्रास
लक्ख उजेडाची आस
मन चकव्याचे फूल
पुन्हा पुन्हा देई हूल

--श्यामली

गुलमोहर: 

मन भास मन त्रास
लक्ख उजेडाची आस
मन चकव्याचे फूल
पुन्हा पुन्हा देई हूल

सुरेख..

मन आठवे साठवे
पुन्हा जुनेच नव्याने >> मस्त !

<< मन माय मन तात
मन सखीचा गं हात
मन जखम जखम
मन घालते फुंकर

मन भास मन त्रास
लक्ख उजेडाची आस
मन चकव्याचे फूल
पुन्हा पुन्हा देई हूल
>>

सुरेख! Happy

मन भीती मन प्रिती
मन भुणभूण किती
मन आठवे साठवे
पुन्हा जुनेच नव्याने

अतिशय आवडली कविता.

मन चकव्याचे फूल
पुन्हा पुन्हा देई हूल

जहागिरदारांनो, काही गावं ईनाम द्या. Happy Happy

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