Submitted by शरद on 16 February, 2019 - 04:51
गजल
इन्सानियत के दुष्मनों देंगे जवाब हम ......
आतंक से लडेंगे, जीतेंगे जनाब हम!
छायी है तीरगी वतन में चार सू मगर,
लायेंगे रोशनी बनेंगे आफताब हम!
नापाक कर दिया चमन को खून बहाकर,
मसलेंगे खून से बुने जुनूने-ख्वाब हम!
छुप छुप के वार करने वाले आज ये भी सुन,
'कर देंगे परदापोश, तुम्हे बेनकाब हम!'
दिल में भडक रही है आग आज ऐ 'शरद'
कर देंगे उनको खाक, होंगे कामयाब हम!!
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