आजची मराठी पत्रकारिता

Submitted by पराग१२२६३ on 21 March, 2016 - 23:22

ओबामा काय म्हणतायत, त्यांनी किती वर्षांच्या आजींची भेट घेतली किंवा कसा
डान्स केला, अमेरिकेत काय चालू आहे, कोणता नवा हँडसेट तिकडे बाजारात
आलेला आहे, चीन भारताला घेरतोय आणि कोणत्या तरी क्षुल्लक संशोधनातून
लक्षात आले आहे की पुरुष महिलांपेक्षा जास्त फळं खातात इ. अशाच
बातम्यांमध्ये रमून स्वतःतील दृष्टीदोष आणि अक्षमता लपविण्याची सवय मराठी
पत्रकारितेत काही वर्षांपासून भिनलेली आहे. त्यामुळे वाचकांपेक्षा
त्यांचे विश्व अतिशय संकुचित आहे, हे पुन्हा एकदा सिद्ध करणारा आणखी एक
पुरावा म्हणजे पुढील बातमी. भारतीय नौदलाच्या क्षमतेची दखल साऱ्या जगात
घेतली जात आहे. पण मराठी पत्रकारितेला ती घ्यावी अशी वाटत नाही, कारण वर
म्हटल्याप्रमाणे त्यांची क्षमताच नाही नौदलाची क्षमता समजून घेण्याची. २१
मार्च रोजी नौदलाने खालील प्रसिद्धीपत्रक दिले आहे. पण जगाची व्याप्ती
समजलेल्या मराठी पत्रकारितेला त्याचे महत्त्व समजलेले नाही. वाचा हे
प्रसिद्धिपत्रक.

सिसली के विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए निगरानी विमान पी-81 तैनात

भारतीय नौसेना ने सिसली के विशेष आर्थिक क्षेत्र ने अपने पी-81 समुद्री
निगरानी विमानों की तैनाती की है। निगरानी का काम 20 मार्च, 2016 से चल
रहा है। निगरानी का कार्यक्रम भारत और सिसली की सरकारों के बीच आपसी
सहमति पत्र के अनुसार किया जा रहा है। भारतीय नौसेना ने अतीत में भी साल
में दो बार सिसली के ऊपर निगरानी के लिए अपने मिशन स‍क्रिय किये थे। इसके
लिए नौसेना के जहाजों को तैनात किया गया था। भारतीय नौसेना ने अक्‍टूबर,
2015 में पहले प्रशिक्षण दस्‍ते के जलयानों को वहां आखिरी बार तैनात किया
था। यह पहला मौका है कि पी-81 निगरानी विमानों को सिसली के आकाश में
उतारा गया है।

यह विमान 23 मार्च, 2016 तक वहां तैनात रहेगा। इस दौरान निगरानी विमान
सिसली के विशेष आर्थिक क्षेत्र के हवाई दायरे पर नजरें टिकाये रहेगा।
इसके अतिरिक्‍त दोनों देशों के वायुसेना कर्मियों के बीच पेशेवर रिश्‍तों
को उन्‍नत बनाया जाएगा।

भारतीय नौसेना की ताजातरीन तैनाती और तकनीकी रूप से बेहद उन्‍नत
सामुद्रिक निगरानी विमानों को सिसली भेजने से संकेत मिलता है कि भारत
वहां के विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए
कृतसंकल्‍प है। इस तैनाती से सिसली में अवैध गतिविधियों और समुद्री डकैती
को रोकने में मदद मिलेगी। इसके अलावा हिन्‍द महासागर क्षेत्र में सुरक्षा
और स्थिरता को बढ़ावा देने में मजबूती आएगी।
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