Submitted by अभिदेश on 14 January, 2015 - 13:52
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(५) मृत्यु
२०-१२-२०१४
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मृत्युच्या दारी जो उभा
त्याचा कार्यकाळ संपला ।
मृत्यु हे शेवटचे भय
ज्यात नसे कोणालाही संशय ।।१।।
जगावे कसे ते आपण ठरवायचे आहे
आनंदात हसायचे आणि दुःख पचवत रहायचे आहे ।
जीवन जगताना मृत्यु अटळ आहे
हेच एक खरे सत्य आहे ।।२।।
जो जातो तो देवाला भेटतो
सुख दुख: देवाला सांगतो ।
तारा बनून आम्हाला दिसतो
आमच्या आठवणीत तो नेहमी राहतो ।।३।।
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