नवीन सुलेखने

Submitted by पल्ली on 2 July, 2009 - 05:27

मायबोलीकरहो, तुम्ही कुणी का प्रयत्न करीत नाही सुलेखने करण्याचा? करा ना. मज्जा येइल, एकमेकांच्या कलाकृती बघायला, अनुभवायला.
.
.
ganeshu.jpg
--------------------------
--------------------------
--------------------------
sparsh.jpg
--------------------------
--------------------------
--------------------------
shur_maratha.jpg
--------------------------
--------------------------
--------------------------
savli.jpg
--------------------------
--------------------------
--------------------------
savalhi_1.jpg
--------------------------
--------------------------
--------------------------
sari_ga_sari.jpg
--------------------------
--------------------------
--------------------------
sanj_ye.jpg
--------------------------
--------------------------
--------------------------
sandhikali.jpg
--------------------------
--------------------------
--------------------------
rutu.jpg
--------------------------
--------------------------
--------------------------
mrashtra_lokdhara.jpg

गुलमोहर: 

भारी एकदम सगळेच .. Happy
--------------------------------------------
रखरखीत हा रस्ता प्रवास करण्याचा,
शेवट त्याचा मिळेल तोवर बोलू काही...

सुंदर खरोखर खुपच सुंदर .

ए,काय सुरेख आहेत गं.. एकापेक्षा एक.. लगे रहो दोस्त!!!

खासच. 'संधीकाली' मला जास्त आवडली.

पल्ले मस्तच आहेत सगळे Happy

****************************************
वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ|| निर्विघ्नं कुरूमेदेव सर्वकार्येषुसर्वदा ||||

<<< तुम्ही कुणी का प्रयत्न करीत नाही सुलेखने करण्याचा >>>
पल्ले, आम्ही नॉर्मल लिहीलेल स्वतःलाच वाचता येत नाही कधीकधी, सुलेखन काय कप्पाळ करणार ? नुस्त लिहितानाच घाबरतो मग आपोआप त्या लेखनाच सू लेखन होउन जातं.

मग आपोआप त्या लेखनाच सू लेखन होउन जातं. >> Lol काय ही सु वचनं :खीखी:

क्या बात है पल्ले.....भन्नाट एकदम.... सगळेच अप्रतिम.... सरी गं सरी आणि संधीकाली या अशा यांसाठी तर तुला प्रत्येकी १००० मोदक :स्मितः
आम्ही नॉर्मल लिहीलेल स्वतःलाच वाचता येत नाही कधीकधी, सुलेखन काय कप्पाळ करणार ?>>>>>>>>>>इथे पण तिच गत आहे Lol
(जर हे तीन वेळा टाईपलं तर क्षमा असावी)

क्या बात है पल्ले.....भन्नाट एकदम.... सगळेच अप्रतिम.... सरी गं सरी आणि संधीकाली या अशा यांसाठी तर तुला प्रत्येकी १००० मोदक :स्मितः
आम्ही नॉर्मल लिहीलेल स्वतःलाच वाचता येत नाही कधीकधी, सुलेखन काय कप्पाळ करणार ?>>>>>>>>>>इथे पण तिच गत आहे Lol
(जर हे तीन वेळा टाईपलं तर क्षमा असावी)

क्या बात है पल्ले.....भन्नाट एकदम.... सगळेच अप्रतिम.... सरी गं सरी आणि संधीकाली या अशा यांसाठी तर तुला प्रत्येकी १००० मोदक :स्मितः
आम्ही नॉर्मल लिहीलेल स्वतःलाच वाचता येत नाही कधीकधी, सुलेखन काय कप्पाळ करणार ?>>>>>>>>>>इथे पण तिच गत आहे Lol
(जर हे तीन वेळा टाईपलं तर क्षमा असावी)

<<< (जर हे तीन वेळा टाईपलं तर क्षमा असावी) >>>
वैभव हि सिग्नेचर ठेव की.

कीती छान ग्.कस करतेस ग ईतक छान सुलेखन?

चालेल का? नाहीतर मुद्दाम करतोय असं वाटायला नको

ठमे,
आहाहा.. सुरेख ग..
- अनिलभाई
It's always fun when you connect.

फार फार आवडलं सगळंच सुलेखन. 'महाराष्ट्राची लोकधारा" सगळ्या जास्त!

खुपच छान आहेत सगळी.. झकास Happy

मला सावली आणि महाराष्ट्राची लोकधारा जास्त आवडले... कारण त्यात शब्दांचे रेखाटनच त्यातला भावार्थ सांगत आहे... बाकी मधे ते सांगायला वेगळी चित्रे काढायला लागली..

०-------------------------------------------०
दुनिया मे है जंग क्यो...बेहेता लाल रंग क्यो..
सरहदे है क्यो हर कही ... सोचा है..ये तुमने क्या कभी ?

सर्व आवडली. मस्त! Happy

---
असं एखादं पाखरू वेल्हाळ, त्याला सामोरं जातंया आभाळ!

पल्ली, एकदम सुलेख! सुलेखिव! Happy
-------------------------------------------------------------
'ज्याला कलाकार नाही बनता येत तो टीकाकार बनतो'

आयला पल्ले, ग्रेट Happy

मस्त आहेत सगळीच सुलेखने Happy
************
To get something you never had, you have to do something you never did.

सगळंच आवडलं Happy
***************
अबीर गुलाल उधळीत रंग | नाथाघरी नाचे माझा सखा पांडुरंग ||

सगळे छान आहेत...
सुलेखन कसं करतात हे मला तुझ्याकडुन जाणुन घ्यायला आवडेल..म्हणजे सुरुवात कशी करायची वगैरे...

पॉश! 'लोकधारा' भन्नाट!
त्यासोबतची चित्रंही तुझीच न?
-------------------------
God knows! (I hope..)

Pages