Submitted by अभय आर्वीकर on 23 October, 2011 - 01:15
बालकविता
अ आ आई
ब ब बाबा
सी फॉर चाचा
अॅन्ड डी फॉर दादा
मराठी भाषा अमुची आई
हिंदी-इंग्लिश सिस्टर-ताई
शिकून घेऊ विविध भाषा
सप्त सुरांची जशी सनई
बोर, चिंच, पेरू, आंबे
पितळ, सोने, कथील, तांबे
विविधतेचे दृश्य मनोरम
ज्ञानदीपाची तशी समई
ज्ञान वेचणे कणाकणाने
एकेक पाऊल क्रमाक्रमाने
अर्जन करूया अभय प्रज्ञा
स्वत्व गुणाला करू कल्हई
- गंगाधर मुटे
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मोगरा फुलला ई-दीपावली अंक २०११ मध्ये प्रकाशित कविता
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गुलमोहर:
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