मिर तक़ी मिर - A Tribute

Submitted by Meghvalli on 7 May, 2024 - 01:06

दिखाई दिए यूँ कि बे-ख़ुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले

बिना सरफ़रोशी,चारा न था
हम आशिकी अपनी मिटा कर चले -१
बड़ी आरजू थी जलू इश्क़ में
तो खुद को पतंग फिर बना कर चले -२
एक रोज़ जब तुम न दिखाई दिए
तो आँखें बंद कर हम ,तिरे गली से चले -३
अँधेरे जो छाए , शहर में तेरे
लौ अपने दिल की हम ,जलाकर चले -४
जभी सोचते है ,हो ,तसव्वुर में तुम
तुझे भूल के अब कहाँ हम चले -५
जब चरागों से तिरी महफ़िल सजी
चौखट पे दुआ कर हम,तेरे दर से चले -६
वफ़ा की शमा युही जलाते रहे
देखा न तुमने तो, हंसकर चले -७
जो जख्म खाये सब,तूने दिए
दाग वो किसे हम ,दिखाकर चले -८
देखा तेरे दर पे तो रकीब ही मिले
ग़मसार होकर,तेरे गली से चले -९
कुछ आखरी पल है ,जीने को अब
करके सज्दा तुम्हे हम,याँ से चले -१०

सोमवार ६/५/२०२४ ०४:४३ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)

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