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राहुल मस्त जमलीय. शहारा येतो वाचताना. एकदम कोल्ड ब्लडेड स्टाईल आहे. आता लायटर आपटताना If possible love things too! आठवणार रे.
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Milindaa
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| Tuesday, March 20, 2007 - 10:38 am: |
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राहुल, चांगलं लिहीलं आहेस
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Saee
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| Tuesday, March 20, 2007 - 11:04 am: |
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राहुल, जमलेल्या भट्टीतली ताजी कथा एकदम फर्मास! बाबा रे तुझ्या कथा वाचायला सुरुवात करतानाच धाकधुक व्हायला लागते.
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Gs1
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| Tuesday, March 20, 2007 - 11:49 am: |
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वा राहुल, नववर्षाच्या सुरूवातीलाच एक वेगळी आणि चांगली कथा वाचायला मिळाली. तू जरा नियमित लिहित जा रे.
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Badbadi
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| Tuesday, March 20, 2007 - 12:16 pm: |
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राहुल, छान!!! तू बरहा वापरतोस का? हॉस्टेल असं लिही h~osTel
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Ashwini
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| Tuesday, March 20, 2007 - 1:49 pm: |
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राहुल, छान लिहीले आहे.
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Kashi
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| Tuesday, March 20, 2007 - 3:34 pm: |
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good one ...mastach ahe goshta..
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Mankya
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| Tuesday, March 20, 2007 - 4:19 pm: |
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राम गोपाल वर्मांच्या डायरेक्शन मध्ये एक सुपरहिट फिल्म बन सकती है बापू ! राहूल ... लेखनीत दम आहे रे मित्रा तुझ्या, पुढच्या लेखनास अनेक शुभेच्छा ! माणिक !
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Dineshvs
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| Tuesday, March 20, 2007 - 4:31 pm: |
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राहुल छानच जमलीय कथा.
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Swasti
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| Tuesday, March 20, 2007 - 5:42 pm: |
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Mind Blowing ! रात्री ११ वाजता वाचल्यावर नक्कीच सरकन काटा येतो
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सगळ्यांचे मनापासून आभार !!! जीएस, प्रेमळ सल्ल्याबद्दल (तो तूलाही लागू होतो ! ) मनापासून धन्यवाद..
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छान लिहील्येस कथा, राहुल.
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Abhay
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| Tuesday, March 20, 2007 - 6:36 pm: |
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राहुल, मस्त जमली आहे कथा,
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राहुल, जबरदस्त कथा ! येऊदेत अजून.
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मी दुपारी ३ वाजता वाचली तरी सर्रकन काटा आला.... राहुल, कथा आवडली! सई म्हणतेय तसं तुझ्या कथा वाचायला सुरूवात करतानाच धाकधुक सुरू होते...
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Meenu
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| Wednesday, March 21, 2007 - 7:11 am: |
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राहुल मस्त जमलीये भट्टी ..!! मजा आली वाचायला ..
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Jayavi
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| Wednesday, March 21, 2007 - 7:57 am: |
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GS1......... तू पण जरा नियमित लिहित जा ना.... खूप दिवसात तुझंही लिखाण वाचायला मिळालं नाही.
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राहुल, अप्रतिम शैली, सुरेख मांडणी एकदम मनाचा ठाव घेणारी...
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Itsme
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| Thursday, March 22, 2007 - 5:00 am: |
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कथा सुरेख, शैली उत्तम ... पण, हुरहुर, धाकधुक किंवा काटा असे काही झाले नाही.
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Giriraj
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| Thursday, March 22, 2007 - 5:19 am: |
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तू घड्याळ किंवा तशीच काही वस्तू झाली आहेस का?
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