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Maanus
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| Monday, March 10, 2008 - 8:43 pm: |
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ईकडे ये, अभिनव मराठी
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Sas
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| Monday, March 10, 2008 - 8:53 pm: |
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मला लोकांना घरी Lunch / Dinner वर बोलवायला आवडत (२-३ महिन्यातुन एकदा, 1-2 जणी/जण ) ईथल्या Post वाचुन मला तुम्हाला सर्वांना माझ्या कडे जेवायला बोलविण्याची ईच्छा आहे पण 'फक्त शाकाहारी' जेवण मिळेल हो (मी चांगला स्वयंपाक करते अस नवरोबा म्हणतो ) अभिजीत, गोरी गोमटी नसली, दिसायला सुंदर नसली तरी चालेल पण छान स्वयंपाक करणारी बायको मिळावी. >>>>>>>>> All the very Best Wishes to U (रुपा पेक्षा गुणच महत्वाचे असतात)
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Sonalisl
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| Monday, March 10, 2008 - 9:23 pm: |
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Sas कित्ती छान! सुगरणीच्या हातच्या जेवणाला कोण नाही म्हणनार?
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शुभेच्छांबद्दल धन्यवाद, आणि हो नजरेत कोणी असेल तर जरुर सुचवा............
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Dakshina
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| Tuesday, March 11, 2008 - 7:33 am: |
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अभिजीत, नॉन - व्हेजचा भोक्ता असशिल तर एखादी सी के पी शोध, जाम सुगरण असतात. माझ्या ही शुभेच्छा तुला.. या शोधा साठी...
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मी शोधली तरी ती तयार होईल का आंतरजातीय विवाहाला????? ईतक्या जनांच्या(जनींच्या) शुभेच्छा मिळाल्यावर मला नक्किच छान सुगरण बायको मिळेल वाटते.
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Manjud
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| Tuesday, March 11, 2008 - 11:57 am: |
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हो ना, दक्षिणाला अनुमोदन!!! सी के पी बायका सुगरण असतात आणि दिसायलाही सुरेख असतात. बघ अभिजीत, एका दगडात दोन पक्षी.
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पुरुषाcया हृदयात जायचा मार्ग त्याच्या पोटातून जातो असं काहीसं सुप्रसिद्ध वाक्य आहे. स्वयपाकावरून गाडी पत्नीशोधावर आली... मला आईस्क्रीम खावंसं वाटतय
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Dakshina
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| Wednesday, March 12, 2008 - 8:08 am: |
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अरे अभिजीत, आजकाल कोणी जाती - पाती कडे पहात नाही, तुला जरूर सी.के.पी. बायको मिळेल... आज माझं डोकं दुखतंय, काही करू नये असं वाटतंय..
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Kashi
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| Wednesday, March 12, 2008 - 9:16 am: |
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khup kantala aala aahe......... masta ghari javun zopavase vatate aahe...
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Uday123
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| Wednesday, March 12, 2008 - 5:33 pm: |
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अभिजीत्- तुम्ही भाकरी-चिकन चा आस्वाद घेतला आहे, त्यामुळे खाल्या मिठाला जागा. अजुनही गाडी चुकली (सुटली) नसेल तर पकडा (कारण तुम्हाला आवडली आहे). शुभेच्छा!
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Tonaga
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| Thursday, March 13, 2008 - 2:39 am: |
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खावंसं वाटतय >>>>>>> !!!!
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Dakshina
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| Thursday, March 20, 2008 - 5:08 am: |
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आज ऑलमोस्ट आख्खं ऑफ़िस रिकामं आहे. माझा बॉसही सुट्टी वर आहे. काही काम नाही. काय करावे? घरी ही जावंसं वाटत नाहीए.... कंटाळा आलाय.
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Anaghavn
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| Thursday, March 20, 2008 - 5:13 am: |
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एखाद पुस्तक घेऊन वाचत बस मस्तपैकी
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Dakshina
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| Thursday, March 20, 2008 - 6:37 am: |
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हो गं अनघा, पुस्तक असतंच नेहमी माझ्याकडे... पण यावेळी 'काईट रनर' आहे.... इतक काही सुखावह नाही...
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वा अहो दक्षिणा ताई याला सुवर्णसंधी असे म्हणतात. आम्ही तर तरसतो असा दिवस उजाडावा म्हणून. साहेब कार्यालयात नाहित! झक्कास उणाडक्या करायला आम्ही मोकळे
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Dakshina
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| Monday, March 24, 2008 - 9:12 am: |
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अभिजीत, माझा बॉस महिन्यातले १५ दिवस बाहेरच असतो. माझ्याशी एक्स्चेंज करतोस का तुझी नोकरी?
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नोकरीची अदलाबदल????????? मी जर एच आर किंवा Admin मधे गेलो तर दिवस दिवस झोपा काढेन........ मी गेली पाच वर्षे shop floor वर काम केलय. AC मधे जरा जावुन बसलो तरी पेंगायला लागतो............ आणि मी जिथे काम करतो तिथे एकही महिला कर्मचारी नाही. सगळी कडे फक्त पुरुष (जरा म्हणून सुख नाही डोळ्यांना) मनात असले तरी शक्य नाही हो नोकरी बदलणे.......... मनातली (दुखी) भावना...........
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Giriraj
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| Tuesday, March 25, 2008 - 7:41 am: |
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मला स्ट्राॅबेरीची आणि मशरूमची शेती कराविशी वाटते!
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Ankyno1
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| Tuesday, March 25, 2008 - 10:09 am: |
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स्ट्रॉबेरी का बादशाह और मश्रूम का रज्जा गिरिराज....
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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