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Moodi
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| Friday, July 21, 2006 - 5:04 pm: |
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अभिनंदन डॉ. पराग. पुढील यशस्वी वाटचालीकरता पण अनेक शुभेच्छा. 
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Naatyaa
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| Friday, July 21, 2006 - 5:06 pm: |
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इथल्या v&c वरिल मुद्दे वपरुन defence लिहिलास का? >> का thesis मध्ये तिरळे लिहिलेस??
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Chinnu
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| Friday, July 21, 2006 - 5:08 pm: |
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हार्दीक अभिनंदन पीके! पुढील वाटचालीसाठी शुभेच्छा!
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Storvi
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| Friday, July 21, 2006 - 5:17 pm: |
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अभिनंदन पिके! .. SVS अगदी अगदी 
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Anilbhai
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| Friday, July 21, 2006 - 5:18 pm: |
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पराग, अभिनंदन रे. झालास का मोकळा आता येवु दे तिराळे
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Seema_
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| Friday, July 21, 2006 - 5:53 pm: |
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अभिनंदन पराग . इतक्या अभ्यासातुन मायबोली एकमेव विरंगुळ्याच साधन असेल म्हणुण मायबोलीला धन्यवाद . हो ना ?
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पराग, इथे तुज्या बीबीवर मला बरेचसे चौकोन नि उभ्या रेघा दिसताहेत! पण सगळे जण तुझे अभिनन्दन करताहेत तर अन्दाजाने तू चम्प्यासारखा दागदर झाला हेस अस समजुन तुझ अभिनन्दन करतो, ग्वाड मानुन घे!
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Arch
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| Saturday, July 22, 2006 - 2:11 am: |
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पराग, तुझ्या doctorate बद्दल मायबोलीच्या बातमी सदरात वाचायला आवडेल. तुझ्या Ph.D चा subject सांग न.
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Shriramb
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| Saturday, July 22, 2006 - 7:11 am: |
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डॉ. पराग, 'वाचस्पति' झाल्याबद्दल हार्दिक अभिनंदन! आणि पुढील कार्यासाठी हार्दिक शुभेच्छा! आता काय पोष्टाचे डॉक्टर होणार का?
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Jayavi
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| Saturday, July 22, 2006 - 11:18 am: |
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पराग, डॉक्टर झाल्याबद्दल मनापासून अभिनंदन रे
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Abhi_
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| Saturday, July 22, 2006 - 11:41 am: |
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पराग, अभिनंदन रे!!
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Paragkan
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| Saturday, July 22, 2006 - 3:27 pm: |
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Thank you so much everyone! SVS: *LOL* .. Seema: u r right. एकमेव नाही पण प्रमुख साधन नक्कीच होतं. Shriram: नाही रे बाबा पोष्टाची वाट धरावी लागू नये अशीच इच्छा आहे. आयुष्याची शाळा झाली आहे .
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pollendot : abhison re. which poisonay takun phd dolis that jara tell father. 
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Paragkan
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| Saturday, July 22, 2006 - 7:54 pm: |
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dhany-argument! I ne na .. drug-nirm-bring in phd doli.
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Dineshvs
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| Sunday, July 23, 2006 - 4:36 pm: |
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डॉ. पराग, तांत्रिक विषय आता मराठीत येऊ लागले आहेत. अलिकडेच डॉ. रवि बापट यांचे वॉर्ड नंबर पाच, के ई एम, नावाचे पुस्तक बाजारात आलेय. अगदी सहजसोप्या भाषेत त्यानी गुंतागुंतीच्या शस्त्रक्रियांची माहिती दिलीय. शब्दांकन, सुनिती जैन यांचे आहे. आपल्या मायबोलि वर अनेक विषयातील तज्ञ आहेत, त्या सगळ्यानी त्यांचे ज्ञान, ईथे आम्हा सामान्य जनाना समजेल अश्या शब्दात मांडायचा प्रयत्न केला पाहिजे.
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अगदी मनापासून असंख्य शुभेच्छा रे!!
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पिके, एक वेगळाच विषय निवडलास. तुझे काम तर भन्नाट आहे. अभिनंदन.
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Kshipra
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| Tuesday, October 17, 2006 - 3:40 am: |
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pk, sahi.. .. ..
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Peshawa
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| Tuesday, October 17, 2006 - 10:29 pm: |
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अरे ऒ पिके कहां हो?
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खुप सुंदर अप्रतीम..!!!.. .. ... ....
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज गणेशोत्सव २००६ |
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