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माझी आवडती कविता

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Sas
Wednesday, May 24, 2006 - 6:09 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

प्रयास

लहरों से डर कर नोका पार नहिं होति,
कोशिश करने वालों कि कभि हार नहिं होति

नन्हि चिंटि जब दान लेकर चलति है,
चढति दीवारों पर सो बार फीसलति है,
मन का विश्वास रगो में साहस भरता है
चढ कर गिरना गिर कर चढना ना अखरता है,
मेहनत उसकि हर बार बेकार नहिं होति.
कोशिश करने वलो कि कभि हार नहि होति.

डुबकिया सिंधु में गोताखोर लगात है,
जा जा कर खालि हाथ लौट कर आता है
मिलते न सहजहि मोति गहरे पनि में
बढता दूना विश्वास इसि हैरानि में,
मुट्ठि खालि उसकि हर बार नहिं होति
कोशिश करने वलों कि कभि हार नहिं होति

असफ़लता एक चुनोति है, स्वीकर करो,
क्या कमि रह गयि, देखो और स्वीकार करो

जब तक न साल हो नीन्द चैन को त्यागो तुम,
संघर्षो का मैदान छोड मत भागो तुम,

कुछ किये बिना हि जयजयकार नहिं होति
कोशिश करने वालों कि कभि हार नहिं होति

(लटे श्री. हरिवन्शराय बच्चन)

Moderator_2
Wednesday, May 24, 2006 - 6:25 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

मायबोली हि मराठी साहित्या साठी आहे. येथे हिन्दी साहित्य टाकु नये ही विनंती. त्या साठी नेट वर खुप जागा उपलब्ध आहेत.


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