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आष्टा आष्टेकर मन्डळी नमस्कर, आता कस वाटतय?
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Ashama
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| Friday, September 01, 2006 - 11:20 am: |
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RAJE....NUSATE NAMASKAR KAY GHALATAY....JARA KAHI TARI BOLA
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दोन दिवस वाट पाहण्यात गेले; दोन दिवस दुखात गेले. हिशोब करतो आहे किती राहिलेत डोईवर ऊन्हाळे. शेकडोवेळा चन्द्र आला; तारे फुलले, रात्र धूंद झाली; भाकरीचा चंद्र शोध्ण्यातच जिंदगी बरबाद झाली.
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मायबोली |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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