रुपेश सहीच.. do u draw all these things with mouse? अप्रतिम...
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Arch
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| Tuesday, August 29, 2006 - 2:01 pm: |
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भारीच हं निरक्षण तुमच, दिनेश. 
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Supriyaj
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| Tuesday, August 29, 2006 - 2:13 pm: |
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रुपेश, concept is really interesting आर्च.. एकुण काय निरिक्षण करण्यातच लोक अती वेळ घालवतात.त्यापेक्षा..
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Paragkan
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| Wednesday, August 30, 2006 - 1:51 am: |
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zakaas re Rupesh !!
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guess what she has been telling him 
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हो ssss बचपन के दिल भुला न देना आज हसे कल रुला न देना ....... 
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Sms
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| Thursday, August 31, 2006 - 7:35 pm: |
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जब हम जवा होन्गे, जाने कहा होन्गे लेकिन जहा होन्गे वहा पर याद करेन्गे ssssssssss
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Bee
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| Friday, September 01, 2006 - 7:22 am: |
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रचना खूपच छान.. त्या मुलाच्या हातावर RB आहे म्हणजे ती मुलगी तुच असशील.. :-)
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Dineshvs
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| Friday, September 01, 2006 - 1:18 pm: |
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या वयात, मुलीनी कानात काहिहि सांगण्या आधीच मुले लाजुन लाल होतात. रचना हे दोन्ही भाव छान टिपलेत.
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Pha
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| Wednesday, September 13, 2006 - 1:25 am: |
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रूपेश : उत्तम! चित्राबरोबर चित्रनिर्मितीची प्रक्रियादेखील पाहायला मिळाली.. छान वाटलं. रचना : सही! चांगलं आलंय! रुमा : कूल! काढत राहा. तुझं गणेशोत्सवातलं चित्रही चांगलं होतं.
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Pha
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| Wednesday, September 13, 2006 - 1:56 am: |
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'डाळिंब, सफरचंद, नासपती' माध्यम : पेस्टल खडू

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Smi_dod
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| Wednesday, September 13, 2006 - 1:58 am: |
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फ.... सही....खडूच्या माध्यमात सही आलय!!!!
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Meenu
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| Wednesday, September 13, 2006 - 2:08 am: |
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वा फ सुंदर आलय रे चित्र ..
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Psg
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| Wednesday, September 13, 2006 - 2:30 am: |
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फ, वा! शेडींग जबरदस्त!!
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Ruma
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| Wednesday, September 13, 2006 - 2:32 am: |
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छान आल आहे रे फ चित्र, सगळी फळ खरी वाटतायत
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Jayavi
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| Wednesday, September 13, 2006 - 6:26 am: |
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रचना, expressions एकदम सही आलेत गं! फ़, खडूंच्या साहाय्यानी........ अप्रतिम आलंय चित्र. बहुत पहुचे हुए कलाकार हो यार!
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Milindaa
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| Wednesday, September 13, 2006 - 12:25 pm: |
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रुपेश, फ, छान आहेत चित्रं!!
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फ़ जबरीच.. नासपती म्हणजे पेअर का?
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Bee
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| Thursday, September 14, 2006 - 12:42 am: |
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फ़, अप्रतीम नासपती म्हणजे बहुदा pears असावे.
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Kandapohe
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| Thursday, September 14, 2006 - 1:41 am: |
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रचना छानच आले आहे. ती बहूतेक कानात कुर्रऽऽऽ करत आहे. फ, सहीच रे. मला ते डाळींब आवडले. चित्राला मधे घडी पडल्यासारखे का दिसत आहे? 
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