वा रे वा, भलतच तुफान की हे! झकाऽऽऽस! 
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वैभव!! संगतीला आज कार्ट बी नाय........    जोश्या(चं) भांडण मिटल??? -चिंगी
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Shyamli
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| Monday, May 22, 2006 - 8:00 am: |
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अगदि तालासुरात म्हणता येतय  
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Maudee
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| Monday, May 22, 2006 - 8:38 am: |
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मी परत परत वाचून हसत्येय..... आजूबाजूच्या ४ लोकाना पण वाचायला लावून सगळे मिळुन हसतोय..... मजा आली.

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वैभव सहीच रे. त्या बंगलोरी बाबाचा फोन मिळाल्या मिळाल्या सुटलास की. 
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कांद्या पितांबरी जोरात आहे की एकदम. वैभव काय रे हे? बायकोने वाचलं का? नाहीतर तुझंच विडंबन व्हायचं
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Arch
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| Monday, May 22, 2006 - 1:12 pm: |
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वैभव, हसून हसून पुरेवाट 
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Jyotip
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| Tuesday, May 23, 2006 - 12:32 am: |
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वैभव.... मस्त रे............तु सगळ्याचा शेवट मस्त करतोस 
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Athak
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| Tuesday, May 23, 2006 - 1:52 am: |
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जोशीबुवा लई भारी हो
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Rmd
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| Tuesday, May 23, 2006 - 3:19 am: |
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vaibhav: jabri ekdum!! khup avadla.
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Ruchita
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| Tuesday, May 23, 2006 - 3:20 am: |
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वैभव....खुप खुप खुप अणि खुपच छान. ) ;) जोश्यांचे भांडण मिटले का रे
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Jayavi
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| Tuesday, May 23, 2006 - 5:14 am: |
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वैभव, तुस्सी ग्रेट!! धमाल आहे एकदम
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Pendhya
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| Tuesday, May 23, 2006 - 6:10 pm: |
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वैभव, मस्त रे! गाण्याचं शेवटचं वाक्य आवडलं.
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Chinnu
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| Tuesday, May 23, 2006 - 11:16 pm: |
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वैभवा अगदी ह. ह. पु. वा बरं!
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Giriraj
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| Wednesday, May 24, 2006 - 2:21 am: |
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हे जोशी म्हणजे वैभव जोशीच तर नव्हे? नाही... दोन तीन दिवसांपासून भेटत नव्हतास म्हणून वाटले!
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Himscool
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| Thursday, May 25, 2006 - 1:44 am: |
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वैभव.. एकदम भन्नाट :-)
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सर्वांचे मनःपूर्वक आभार ... सध्या तरी घरी सगळं आलबेल आहे ...
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Ninavi
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| Friday, May 26, 2006 - 10:31 am: |
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अश्विनीची क्षमा मागून तिच्या ह्या कवितेचं विडंबन.. भाडेकरूस नोटिस खोलीत तू, न्हाणीत तू किचनही वापरतोस तू अस्वस्थ मी, व्याकुळ मी भाडं भरत नाहीस तू दिसलास तर सांगेनसुद्धा 'राव आधी भाडं टाका' तोंड लपवून पळतोस पण, तुजवर पोचत नाहीत हाका मी भाड्याचा ध्यास घेतलाय आणि सोडून दिलंय जगणं सारं जग मला सांगतंय बरं नाही हे वागणं तुझं वागणं ठीक आहे का? तीन तीन महिने भाडं तुंबवायचं? आणि माझ्या खोलीत मात्र अष्टौप्रहर रहायचं? आता असह्य झालंय तुझं निर्लज्ज वागणं एकतर भाडं भर, अथवा सोडून दे माझ्या खोलीत रहाणं....
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Ashwini
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| Friday, May 26, 2006 - 10:36 am: |
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निनावी, मस्त... चल आता माझी कविता वापरल्याचं भाडं दे. 
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