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Jagu
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| Wednesday, April 18, 2007 - 8:55 am: |
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माणिक, प्रिति, मेघा, गिरीराज, प्रिन्सेस खुपच छान रंगल्या आहेत तुमच्या चारोळ्या.
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Jagu
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| Wednesday, April 18, 2007 - 8:59 am: |
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पावसाच्या पहिल्या सरीने मातीला गंध येतो तुझ्या आगमनाने माझ्या अस्तित्वाला रंग येतो.
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Princess
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| Wednesday, April 18, 2007 - 8:59 am: |
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सय तुझी येता मन श्रावण होते कधी थोडी रिमझिम, कधी मुसळधार बरसते
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Princess
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| Wednesday, April 18, 2007 - 9:04 am: |
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बाहेर वैशाख वणवा असु दे पेटलेला... मला काय त्याचे मनी पाऊस दाटलेला...
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Giriraj
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| Wednesday, April 18, 2007 - 9:35 am: |
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पाऊस असा हा दुष्ट केसांतून झिरपून जाई अन् ओलेत्या केसांसंगे गालांना चुंबून घेई गिरीराज
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