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Dakshina
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| Friday, January 25, 2008 - 7:22 am: |
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उपास, धन्यवाद.. आयटी, माझा बॉस नाही येत मायबोलीवर... म्हणून तर हे सगळं इथे लिहू शकले... आणि झक्की, सरकारी नोकरीत नाही याचंच तर दुःख आहे...
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एक आचरट विषयांतर... ह्या BB चं नाव वाचून मला नेहेमी हसू येतं... "'आपल्या हातून झालेल्या चुकांमुळे' त्रस्त आहात? ताबडतोब लिहून कळवा!!"
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Anaghavn
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| Thursday, February 28, 2008 - 10:14 am: |
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बर्याच दिवसात कोणी फ़िरकल नाही इकडे.
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Chyayla
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| Thursday, February 28, 2008 - 11:17 am: |
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बर्याच दिवसात कोणी फ़िरकल नाही इकडे ही सुद्धा आपल्या हातुन झालेली चुक
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Deepurza
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| Thursday, April 10, 2008 - 9:08 am: |
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हो ना खुप मोठि चुक कोणिच येत नहि इकडे
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Yashwant
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| Thursday, April 10, 2008 - 10:12 am: |
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माझ्या जीवलग मैत्रिणीला एकदम बोलुन गेलो."तु फ़क्त कामपुरतीच माझ्याशी गोड गोड बोलतेस". आता ती माझ्यावर रुसलिये. समजुत काढुन दमलो.
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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