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Dakshina
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| Tuesday, April 15, 2008 - 6:57 am: |
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मी पण काय माझे वीकेंड असल्या सत्कृत्यां(???)साठी वाया नाही घालवत गं.. तो एकच, पहीला आणि शेवटचा.... 
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Itgirl
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| Tuesday, April 15, 2008 - 7:07 am: |
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हेहेहेहे दक्षिणे, वो क्या है, एक वीकेंड से गयी वो सौ वीकेंड से नहीं आती मजा करतेय गं हलकेच घे
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Dakshina
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| Tuesday, April 15, 2008 - 7:35 am: |
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अगं, मला माफ़ कर गं. का माझ्या मागे लागली आहेस? (हलकेच घेतले आहे, काळजी नसावी.)
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Itgirl
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| Tuesday, April 15, 2008 - 9:15 am: |
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रागवू नकोस गं.... अग, जरा गंम्मत केली
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Trish
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| Tuesday, April 15, 2008 - 12:22 pm: |
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काही म्हणा..पण गाणी अप्रतिम आहेत हो... आणि सगळ्यात सही म्हणजे यातील ती ठरावीक शीटी....
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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