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Dineshvs
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| Wednesday, April 09, 2008 - 10:58 am: |
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यशवंत देव, करुणा देव, वीणा देव, सीमा देव, रमेश देव, अजिंक्य देव, देव आनंद, मुकुल देव, याना कसे विसरलात ? त्या तुळशीला घातलेले पाणीच, परत कुंडात येते.
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Dhumketu
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| Wednesday, April 09, 2008 - 11:15 am: |
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घाटातून दिसणारा वासोटा. वासोटा आणी जुना वासोटा एकापाठोपाठ आहेत. जरा पुढे गेल्यावर खोटा नागेश्वरही दिसतो.
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Prr
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| Wednesday, April 09, 2008 - 2:12 pm: |
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वर्णनावरुन तुम्हा सर्वांची भटकंती छानच झाली हे कळले आणि जेवणाचा बेतही मस्तच होता. दिनेशदा आता तरी नेर्लीचा मोह सोडा.
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Tonaga
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| Wednesday, April 09, 2008 - 4:00 pm: |
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पुन्हा पुन्हा वासोटा वासोटा करू नका. मला ते कासोटा वाटत राहते सारखे...
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धुमकेतु, नागेश्वर म्हणजे नागेशीची गुहा आहे तेच ना? तिथुन खाली उतरले की चिपळुणच्या डोक्यावर उतरता येते (बहुतेक अलोर्यात उतरतो तो रस्ता)..
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Gs1
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| Thursday, April 10, 2008 - 8:46 am: |
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श्रीमंत पंतप्रतिनिधींचा अजिंक्या दुर्ग वासोटा ताई तेलीण मारील सोटा बापू गोखल्या सांभाळ कासोटा अशी एक ऐतिहासिक आर्या पण आहे. नागेश्वरापासून सुरू होणारी वाट चोरवणे या गावाला उतरते.
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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