जबरदस्त खुपच छान आहे
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Prachee
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| Tuesday, March 11, 2008 - 9:10 am: |
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अरे, इथे काहीच हालचाल का नाही? चला हे गाणे ओळखा पाहु पटकन दोपहर का समय हुआ तो मारी हमने झपकी हम टपक गये समझके यह एक परी वहा आ धमकी श्वेत वस्त्र थे, हाथ अस्त्र ले, लगी नब्ज वोह पढने प्यास जीवन की दवा है लगी हमें वोह कहने हम हो गये Stand As Of Very Sad Thats थोडा बहुत All I Understand but Any Way Lets बजाओ Band And Do The Public Rhyme
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Ankyno1
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| Tuesday, March 11, 2008 - 9:18 am: |
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ओय बबली ओय होय बबली बी माय लव्हर बबली ************************** झूमे जा मौज में रुकना ना जानेजाँ देखूं ये तरंग रुकती है कहाँ
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आज मै उपर आसमां नीचे. आज मै आगे जमाना है पीछे. टेल मी ओ खुदा अब मै क्या करू? चलू सीधी के उलटी चलू?
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Chiku
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| Tuesday, March 11, 2008 - 10:07 pm: |
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अरे हे तर माझ्या आवडत्या सिनेमातलं गाणं खामोशी
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Dakshina
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| Tuesday, March 18, 2008 - 5:18 am: |
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आता हे ओळखा..... आ रहा है मेरा एक पिक्चर नया, बच्चन है व्हिलन मेरी हिरॉईन जया सुभाष घई ने जब मुझे साईन किया, साथ बैठके हम दोनो ने वाईन पिया जॅकी चॅन को सिखायी मैने फ़ाईट आक्शन, मेरे गानो को चुराए मायकल जॅक्सन...
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Ankyno1
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| Tuesday, March 18, 2008 - 6:23 am: |
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एक्टर नही मै क्रिकेटर भी हूं मै तो कपिल से बढिया हार्ड हिटर भी हूं कभी घबराकर कांबली ने शाऊट किया जब सचिन को मैने बोल्ड आऊट किया जब मै लेने गया बेसन चक्की पे मिला टायसन दिया ना मुझको आटा तो मैने मारा चाटा पी टी उषा ने मुझे ड्रिंक कोल्ड दिया था जब ऑलिंपिक की दौड मे मैने गोल्ड लिया था एक जोतिष ने जब मेरा हाथ देखा था ना होगा कोई मेरे जैसा ऐसा कहा था मेरी बातें सुनके देखो हसना नहीं उसे झूठ मानकर कहीं फसना नहीं मै सब सच केहेता हूं आपकी कसम मैने पिया नही व्हिस्की बीअर या रम STOP THAT STOP THAT
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Ankyno1
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| Tuesday, March 18, 2008 - 6:51 am: |
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हे ओळखा... ओ माधो जाइ कहाँ हो... ओ माधो.. कहाँ जात हो... हमरी दुल्हनियाँ जहाँ हो... परबत से जाके बदरिया मिली कलियोंसे भंवरे मिले... इठलाती बलखाती नदियाँ चली सागर से मिलने गले...
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अरे बचपन से उसका एक दीवाना था जिसका पांव गली के आशिक़ परे हटाना था दिल से जिसको मान रहा था अपने दिल कि राणी वो और किसीपे ही यारो मरती थी मरजाणी वो एक कहानी ख़तम तो दूजा क़िस्सा शुरु हुआऽऽऽ लय जोरदार गाणं आहे.. अन् म्हणूनच सोप्पंय...
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जिसका पांव <<<< जिसका ' काम ' रे महेश. तो काय त्या लोकांना पायात पाय घालून पाडायचा की काय? जब वुई मेट मधलं; नगाडा बजा... ऍंकी: चलते चलते मधलं प्रेम नगरिया की तुम भी डगरिया चलो. रंगबिरंगी दुनिया सारी भांत भांत के लोग. मिलके बिछडना बिछडके मिलना सारा है संजोग. देखे जो ऐसे तमाशे... होऽऽऽ... फ़ूटे है दिल मे बताशे... वगैरे वगैरे. 
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श्रद्धा अग तसंच काहीतरी करायचं असेल त्याला.. त्याला, पायात पाय घालून परे हटाना था.. असं असेल... ठेंकू...
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Shraddhak
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| Tuesday, March 18, 2008 - 12:12 pm: |
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होगी किसी को पहचान कैसे? प्यार मे होते है कुरबान ऐसे. हमको ये मालूम न था प्यार भी एक समझौता है...
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Prachee
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| Tuesday, March 18, 2008 - 2:02 pm: |
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श्रध्दा, हे तर यादें मधले गाणे ए दिल दिल कि दुनिया में ऐसा हाल भी होता है
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Ankyno1
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| Tuesday, March 18, 2008 - 3:21 pm: |
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सोप्पं आहे.... ओळखा नकली दाढी मूछ लगा के बन जाउ मै चोर अपने घर मे चोरी करके खूब मचाउ शोर पानी पे मै राशन रख्खू मुफ़्त में बेचू तेल कंकर पत्थर धूल डालकर सबको दे दू भेल
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Amruta
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| Tuesday, March 18, 2008 - 3:59 pm: |
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मै चाहे ये करु मै चाहे वो करु मेरी मर्जी आता हे ओळखा पाहु, हम अलबेले बडे मनचले धुम जो लगी तो चले हम चले
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Shanky
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| Tuesday, March 18, 2008 - 7:17 pm: |
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धक्का लगा बुका खायेगा रे मुक्का -- "युवा" मधिल गाणे :-)
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Maanus
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| Wednesday, March 19, 2008 - 3:57 am: |
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  काय मस्त expressions आहेत हिचे ह्या शेवटच्या कडव्यात, फिदा
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Maanus
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| Wednesday, March 19, 2008 - 4:43 am: |
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हे एक थोडेसे अवघड
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Amruta
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| Wednesday, March 19, 2008 - 2:49 pm: |
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उंबरठा मधल वाटतय. पण सुन्या सुन्या मैफिलीत माझ्या नाहिये.
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Prachee
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| Wednesday, March 19, 2008 - 3:34 pm: |
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गंजल्या ओठास माझ्या.... सिनेमा उंबरठा
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