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Archive through March 19, 2008

Hitguj » My Experience » बहु(जनांकडून)श्रुत » गाणे ओळखा » Archive through March 19, 2008 « Previous Next »

Tanaji_malusare
Wednesday, March 05, 2008 - 7:17 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

जबरदस्त
खुपच छान आहे

Prachee
Tuesday, March 11, 2008 - 9:10 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

अरे, इथे काहीच हालचाल का नाही?
चला हे गाणे ओळखा पाहु पटकन

दोपहर का समय हुआ तो मारी हमने झपकी
हम टपक गये समझके यह एक परी वहा आ धमकी
श्वेत वस्त्र थे, हाथ अस्त्र ले, लगी नब्ज वोह पढने
प्यास जीवन की दवा है लगी हमें वोह कहने
हम हो गये Stand As Of Very Sad Thats थोडा बहुत All I Understand
but Any Way Lets बजाओ Band And Do The Public Rhyme


Ankyno1
Tuesday, March 11, 2008 - 9:18 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

ओय बबली
ओय होय बबली
बी माय लव्हर बबली

**************************

झूमे जा मौज में
रुकना ना जानेजाँ
देखूं ये तरंग
रुकती है कहाँ


Shraddhak
Tuesday, March 11, 2008 - 9:33 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

आज मै उपर
आसमां नीचे.
आज मै आगे
जमाना है पीछे.
टेल मी ओ खुदा
अब मै क्या करू?
चलू सीधी के उलटी चलू?




Chiku
Tuesday, March 11, 2008 - 10:07 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

अरे हे तर माझ्या आवडत्या सिनेमातलं गाणं खामोशी

Dakshina
Tuesday, March 18, 2008 - 5:18 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

आता हे ओळखा.....

आ रहा है मेरा एक पिक्चर नया, बच्चन है व्हिलन मेरी हिरॉईन जया
सुभाष घई ने जब मुझे साईन किया, साथ बैठके हम दोनो ने वाईन पिया
जॅकी चॅन को सिखायी मैने फ़ाईट आक्शन, मेरे गानो को चुराए मायकल जॅक्सन...


Ankyno1
Tuesday, March 18, 2008 - 6:23 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

एक्टर नही मै क्रिकेटर भी हूं
मै तो कपिल से बढिया हार्ड हिटर भी हूं
कभी घबराकर कांबली ने शाऊट किया
जब सचिन को मैने बोल्ड आऊट किया
जब मै लेने गया बेसन चक्की पे मिला टायसन
दिया ना मुझको आटा तो मैने मारा चाटा
पी टी उषा ने मुझे ड्रिंक कोल्ड दिया था
जब ऑलिंपिक की दौड मे मैने गोल्ड लिया था
एक जोतिष ने जब मेरा हाथ देखा था
ना होगा कोई मेरे जैसा ऐसा कहा था

मेरी बातें सुनके देखो हसना नहीं
उसे झूठ मानकर कहीं फसना नहीं
मै सब सच केहेता हूं आपकी कसम
मैने पिया नही व्हिस्की बीअर या रम
STOP THAT
STOP THAT


Ankyno1
Tuesday, March 18, 2008 - 6:51 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

हे ओळखा...

ओ माधो जाइ कहाँ हो...
ओ माधो.. कहाँ जात हो...
हमरी दुल्हनियाँ जहाँ हो...

परबत से जाके बदरिया मिली कलियोंसे भंवरे मिले...
इठलाती बलखाती नदियाँ चली सागर से मिलने गले...


Mrdmahesh
Tuesday, March 18, 2008 - 6:56 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

अरे बचपन से उसका एक दीवाना था
जिसका पांव गली के आशिक़ परे हटाना था
दिल से जिसको मान रहा था अपने दिल कि राणी वो
और किसीपे ही यारो मरती थी मरजाणी वो
एक कहानी ख़तम तो दूजा क़िस्सा शुरु हुआऽऽऽ

लय जोरदार गाणं आहे.. अन् म्हणूनच सोप्पंय...


Shraddhak
Tuesday, March 18, 2008 - 7:02 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

जिसका पांव <<<<
जिसका ' काम ' रे महेश. तो काय त्या लोकांना पायात पाय घालून पाडायचा की काय?

जब वुई मेट मधलं; नगाडा बजा...

ऍंकी:
चलते चलते मधलं
प्रेम नगरिया की तुम भी डगरिया चलो.

रंगबिरंगी दुनिया सारी
भांत भांत के लोग.
मिलके बिछडना बिछडके मिलना
सारा है संजोग.
देखे जो ऐसे तमाशे... होऽऽऽ...
फ़ूटे है दिल मे बताशे...

वगैरे वगैरे.

:-)

Mrdmahesh
Tuesday, March 18, 2008 - 7:08 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

श्रद्धा अग तसंच काहीतरी करायचं असेल त्याला.. :-)
त्याला, पायात पाय घालून परे हटाना था.. असं असेल... :-)
ठेंकू... :-)


Shraddhak
Tuesday, March 18, 2008 - 12:12 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

होगी किसी को पहचान कैसे?
प्यार मे होते है कुरबान ऐसे.
हमको ये मालूम न था
प्यार भी एक समझौता है...


Prachee
Tuesday, March 18, 2008 - 2:02 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

श्रध्दा, हे तर यादें मधले गाणे
ए दिल दिल कि दुनिया में ऐसा हाल भी होता है


Ankyno1
Tuesday, March 18, 2008 - 3:21 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

सोप्पं आहे.... ओळखा

नकली दाढी मूछ लगा के बन जाउ मै चोर
अपने घर मे चोरी करके खूब मचाउ शोर
पानी पे मै राशन रख्खू मुफ़्त में बेचू तेल
कंकर पत्थर धूल डालकर सबको दे दू भेल


Amruta
Tuesday, March 18, 2008 - 3:59 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

मै चाहे ये करु मै चाहे वो करु मेरी मर्जी :-)

आता हे ओळखा पाहु,

हम अलबेले बडे मनचले
धुम जो लगी तो चले हम चले


Shanky
Tuesday, March 18, 2008 - 7:17 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

धक्का लगा बुका खायेगा रे मुक्का -- "युवा" मधिल गाणे :-)

Maanus
Wednesday, March 19, 2008 - 3:57 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message



काय मस्त expressions आहेत हिचे ह्या शेवटच्या कडव्यात, फिदा :-)


Maanus
Wednesday, March 19, 2008 - 4:43 am:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message




हे एक थोडेसे अवघड

Amruta
Wednesday, March 19, 2008 - 2:49 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message

उंबरठा मधल वाटतय. पण सुन्या सुन्या मैफिलीत माझ्या नाहिये. :-(

Prachee
Wednesday, March 19, 2008 - 3:34 pm:   Edit Post Delete Post Print Post  Link to this message


गंजल्या ओठास माझ्या....
सिनेमा उंबरठा


चोखंदळ ग्राहक
महाराष्ट्र धर्म वाढवावा
व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत
पांढर्‍यावरचे काळे
गावातल्या गावात
तंत्रलेल्या मंत्रबनात
आरोह अवरोह
शुभंकरोती कल्याणम्
विखुरलेले मोती


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हितगुज दिवाळी अंक २००७






 
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