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Maanus
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| Thursday, January 24, 2008 - 5:39 am: |
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चढता सुरज धिरे धिरे ढलता हे ढल जायेगा, हे गाणे ज्यांनी ऐकलेय... तेच फक्त तुझ्या प्रश्नाचे उत्तर देवु शतकती. स्वाती_राजेश, बरोबर आहे उत्तर.
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निंद आये ना जब आखो में बढने लगे बेकरारी शबनम को भी छू ले.... हे गाणे ओळखा. जमल्यास चित्रपट.
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Hrishitaa Bhatt,Jimmy Shergillचा सिनेमा आहे.
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Ankyno1
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| Friday, January 25, 2008 - 12:34 pm: |
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आँखे भी... होती है दिल की जुबाँ.. बिन बोले कर देती है हालत ये पल में बयान... चित्रपट: हासिल
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बरोबर ओळखले.. मला खुप आवडते ते गाणे.
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Prachee
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| Saturday, January 26, 2008 - 4:56 am: |
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अरे, मी दिलेले गाणे कोणीच का ओळखत नाहीये??? खुप सोपे आहे. एका 'परदेसी' राजाने (?) गायलेले आणि खुप गाजलेले गाणे आहे.
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Maanus
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| Saturday, January 26, 2008 - 10:19 pm: |
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अलताफ राजा, तुम तो ठेहरे परदेसी.
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Prachee
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| Sunday, January 27, 2008 - 3:57 am: |
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अरे माणसा माणसा.... अगदी बरोबर.
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Prachee
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| Tuesday, January 29, 2008 - 11:24 am: |
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अरे, हा बीबी एकदम शांत कसा काय? सांगा पाहु हे गाणे कोणते? शायद कोई दीपक जले चुडि बजे परदा हटे
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Ankyno1
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| Tuesday, January 29, 2008 - 11:48 am: |
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न जाने क्यूं मैं बेकरार दिल मे लिये दर्द्-ए-इंतजार बैठा हूं उस राह में जो मेरि मंझिल नही चित्रपट: लाल दुपट्टा मलमल का (बहुतेक... नक्की नाही माहिती) ****************************** हे सांगा... दिल डरे पास मेरे टिकट भी तो नही...
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Prachee
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| Wednesday, January 30, 2008 - 9:55 am: |
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ankyno1 बरोबर ओळखलेत. तुमच्या गाण्याचा काहीतरी clue द्या ना...
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Ankyno1
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| Wednesday, January 30, 2008 - 10:54 am: |
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भप्पी लाहिरी चं संगीत आशा भोसले चा आवाज पडद्यावर्- रीना राॅय
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सिनेमा हथकडी छोडो छोडो मेरी बाहें
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Ankyno1
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| Wednesday, January 30, 2008 - 12:03 pm: |
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येस्स.... डिस्को स्टेशन असं गाणं आहे.....
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Prachee
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| Wednesday, January 30, 2008 - 1:51 pm: |
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आता हे गाणे सांगा पाहु छोटीसी कच्ची पच्ची बातें बनाये सच्ची
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Prachee
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| Monday, February 04, 2008 - 11:03 am: |
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अरे, काय झाले? चला जरा मदत करते. 'हम्मा हम्मा' करणार्या गायकाने गायलेले गाणे......
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Anaghavn
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| Monday, February 04, 2008 - 11:09 am: |
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"ओ मेरी मुन्नी" का?
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Prachee
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| Monday, February 04, 2008 - 2:03 pm: |
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अनघा बरोबर सांगितले तुम्ही
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पाती की जाली से झांक रही थी कलियां गंध भरे गुनगुन में, मगन हुइ थी कलियां
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सांज ढले गगन तले हम कितने एकाकी...
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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