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Amruta
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| Friday, March 21, 2008 - 2:04 pm: |
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प्यार किये जा बरोबर आहे रे, मी सगळीकडे बोंबाबोंब बद्दल बोलत होते. त्या हिंदी सिनेमात संजीवकुमार असाच खांद्यावर लाउन फिरत असतो आणि सगळ्यांना बनवत असतो.
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Nilima_v
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| Friday, March 21, 2008 - 3:08 pm: |
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हा पहीली शेर दुसरी सव्वाशेर नवरा पावशेर
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Maanus
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| Thursday, March 27, 2008 - 2:51 am: |
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Mr. ****** will find that it takes a great deal more than a pinch of **** to bring down the ******* Empire. Fill in the blanks. also Who said this, & in which movie From same movie, giving it just to add confusion. ****: You're a temptress. ****: Just an admirer! ****: Nothing is more dangerous, especially for an old man. u_Gasq6qfzU
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चित्रपट "गांधी" - व्हॉइसरॉय म. गांधींच्या मीठाच्या सत्याग्रहाला उद्देशुन म्हणतो.. Mr. Gandhi will find that it takes a great deal more than a pinch of salt to bring down the British Empire नंतरचा संवाद बहुतेक त्या अमेरिकन पत्रकार बाई व गांधी यांच्या मधला आहे..
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Maanus
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| Monday, March 31, 2008 - 2:03 am: |
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पता है आज का दिन इतना special क्यों है, आज पुरणमासी और valentines day एक ही दिन आये है... जानती हो ईसका मतलब. ह्याचे उत्तर ह्याच चित्रपटातील एका special संवादाने द्यावे.
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माणूस, ' राहुल... नाम तो याद रहेगा... ' का? (DTPH) ????????
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Psg
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| Monday, March 31, 2008 - 5:37 am: |
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हो श्र.. तो संवाद असा काहीसा.. "आज वो, जो भगवान ने खास मेरे लिये बनाया है, आज मुझे मिलेगा.." हाय! माधुरी! काय दिसते या सिनेमात.. काय खास सिनेमा आहे हा..
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बाप रे.. हा कोणता तो धन्य सिनेमा ज्यात संत वॅलेंटाईन व पुरणमासी (म्हणजे होळी का???? ह्यांचा समन्वय साधलेला आहे?? आणि माणसा मी दिलेले उत्तर बरोबर का नाही ते सांगितले नाहीस.
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Ajjuka
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| Monday, March 31, 2008 - 11:12 am: |
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अ आणि अ मधे हा सिनेमा पण यायला हरकत नाहीये. विचार करा.
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Psg
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| Monday, March 31, 2008 - 12:00 pm: |
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ए नाही हं.. प्लीज DTPH ची चिरफाड नको... आता पेटून उठून नक्की कोणीतरी मुद्दाम लिहायला घेईल त्यावर
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Upas
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| Monday, March 31, 2008 - 3:53 pm: |
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>>हाय! माधुरी! काय दिसते या सिनेमात.. काय खास सिनेमा आहे हा.. अगदी अगदी.. दिल तो पागल था! :-P
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Chinoox
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| Monday, March 31, 2008 - 5:03 pm: |
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पुढील शब्दरत्ने कोणत्या अफलातून चित्रपटातील आहेत, हे ओळखा.. मै हू जुर्म से नफरत करनेवाला, गरिबो के लिये चिराग, गुन्डो के लिये ज्वाला. मेरा नाम है लम्बू आटा, दुन्गा उसे मोत का चाटा मेरा नाम है इबू हटेला, मॉ मेरी चूडैल की बेटी, बाप मेरा शैतान का चेला.. एक अतिशय करमणूकप्रधान व काव्यमय असा हा चित्रपट आहे...
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माधुरी सहीच दिसायची नेहमीच. HAHK मधे सुद्धा
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Tonaga
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| Monday, March 31, 2008 - 5:49 pm: |
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पुढील शब्दरत्ने कोणत्या अफलातून चित्रपटातील आहेत, हे ओळखा.. >>>>>>>गुन्डा.. .. .. ..
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सगळ्या मराठी 'मुलांना' माधुरी दिक्षीत आवडते.
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Maanus
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| Monday, March 31, 2008 - 11:15 pm: |
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शंतनु गांधी सारखा चित्रपट तुला ओळखता येतो आणि दिल तो पागल है कळाला नाही होय करिस्मा (निशा) देखील चांगली दिसते हो. DTPH मधले बहुतेक सगळे संवाद खुप वेळा repeat झालेत. त्यामुळे संवाद लिहीणार्याला जास्त काम नाही मिळाले. मर गया राहुल. someone somewhere is made for you मोहंब्बत क्या है? क्युं है? कहा है? मोहंब्बत जिंदगी है मोहंब्बत दोस्ती है. माया. मुझसे अच्छी dancer तो तुम्हे मिल ही नही सकती.
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Ajjuka
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| Tuesday, April 01, 2008 - 4:44 am: |
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कशाला एवढं नाही नाही करताय! कुणीतरी खरंच पेटायचा आणि लिहायचा... (का तोच hidden agenda आहे?)
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नाही रे माणसा.. मी शाळा कॉलेजात असताना शाहरुख खान, सलमान खान वगैरे व्यक्तिमत्त्वांचे चित्रपट पाहिले नाहीत.. आमच्या कॉलेजच्या मागे एक व्हिडीओ थिएटर होते.. तिथे जाउन फकस्त मिथुनदांचे सिनेमे बघायचो.. आणि होस्टेलवर काही रसिक मंडळी असल्याने अनेक सुंदर इंग्रजी चित्रपटांचा परिचय झाला.. मला दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे देखील आवडला नव्हता.. इतका अरसिक आहे मी हिंदी रोमॅन्टिक सिनेमांच्या बाबतीत...
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हे सदर आता खालील जागी हलवले आहे /node/1657
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