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Anjut
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| Monday, February 19, 2007 - 10:21 am: |
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आमच्या शेजारच्या बाईन्चा दूधवाल्याशी सम्वाद्: हमने भान्डा स्वच्छ घासा तो दूध कैसा नासा? आणी त्यान्चे शेजारी; अरे उपर्से दगड मत मारो हमारा डोला फुट ज़ायेग़ा
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anjut , हा किस्सा थोडा ओढून ताणून नाही का वाटत??
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Suvikask
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| Wednesday, February 21, 2007 - 11:48 am: |
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लहानपणी आम्ही सौराष्ट्र ट्रिपला गेलो होतो. बरोबर वहिनी, काकू पण होत्या. वहिनीला कापडी चिमण्याची किम्मत विचारायची होति; ती म्हणाली "भाई चावल कितने को है?" काकुला एकाने विचारले "आप कहा से आये है?" ती म्हणाली "हिंदुस्तान से"
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Zakasrao
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| Thursday, February 22, 2007 - 5:40 am: |
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कापडी चिमण्याची किम्मत भाई चावल कितने >>>>>>>>>>>>> काहीच कळाले नाही. 
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Maku
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| Friday, February 23, 2007 - 8:29 am: |
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मला पण काहीच कळले नाही. चावल कशाला मधे ??????????
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Sheshhnag
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| Friday, February 23, 2007 - 3:37 pm: |
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मला पण काहीच कळले नाही. चावल कशाला मधे ?????????? चावलं असेल...
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Suvikask
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| Wednesday, February 28, 2007 - 7:55 am: |
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चिडिया ऐवजी चावल, आणि महराष्ट्र ऐवजी हिंदुस्तान... अशी ही हिंदी
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Suvikask
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| Wednesday, February 28, 2007 - 8:01 am: |
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चिडिया ऐवजी चावल, आणि महराष्ट्र ऐवजी हिंदुस्तान... अशी ही हिंदी
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Maku
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| Wednesday, February 28, 2007 - 8:56 am: |
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मला पण काहीच कळले नाही. चावल कशाला मधे ?????????? चावलं असेल... Sheshhnag अगदीच ह पु वा.
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Amol_amol
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| Wednesday, April 18, 2007 - 9:08 pm: |
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माझा साहेब म्हानाला वो पळता तो तु भी उसके पीच्चे पळ.
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तो तु पळ्या क्यु नही अभी तक..मायबोले पे क्या कर रहा है.....
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Disha013
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| Thursday, April 19, 2007 - 6:15 pm: |
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अमोल,सिन्ड्रेला, ह्ज्ब्सध ह्ब्ज झ्द्क्ज ज्झ्द्स झ्ज्ध
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मॉलमधे बर्याच दिवसांनी भेटलेल्या माझ्या मैत्रिणीच्या नवर्याला माझा एक कलीग म्हणाला "कितना खराब हो गया है रे तू?" अर्थात किती बारीक झालायस तू? पण तिकडे मै. न. ची दांडी उडालेली. (हे काय लाडाने म्हणतोय की काय? जाओ तुम बडे खराब हो टाईप.) मग मैत्रिणीने (जिला सवय झालीय बंबईया हिंदीची) खुलासा केला "You have reduced na, that's why."
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Monakshi
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| Wednesday, April 25, 2007 - 6:54 am: |
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काही भाशान्त रा चे न मुने: प हिली बार पोह ने ग या तो क्या हुआ मालुम? प ह ले पानी मे शिरा फि र पोहा बाद मे बुडा ----------------- घाई क रो भ य्या, न हि तो ह मारी ब स जाये गी ऑर प न्चाईत हो गी. --------------- सर ब त मे लिम्बू पिळा क्या? ----------- इत ना म हा ग केसे तेरे य हा? वो कोप रे का भ य्या तो स्व स्त देता हे ------------- अरे बाबा, गाडी साव ली मे लगा. ------------ ए भाय, मेदूवडा शेप्रेट लाना, साम्बार मे बुडाके मत लाना. ------------- केस एकदम बारिक कापो भय्या. ---------- ख़ाओ, पोटभर ख़ाओ, लाजो मत. --------------
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कल्ले पे केस कमीच ठेवना और कुरळे केस है इसलिये थोडा सम्भाळके कापना..
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मोनाक्षी हे तू वर लिहीलेयस ती वाक्ये इथेच लिहीली आहेत पूर्वी. तुला मेलमधून आली असतील ना. इथे पण ती अनेकवेळा परत टाकलीयत लोकांनी.
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अगं संघमित्रे..,, जाऊ दे गं आपण रिव्हिजन करून टाकु.... तिकडे बापुंचा "BB" पेट्लाय बघ..
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Monakshi
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| Thursday, April 26, 2007 - 5:23 am: |
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बरोबर आहे तुमच सन्घमित्रा, मला मेल मधूनच आली आहेत ही वाक्द्ये पण मी हल्लीच इथे लॉगीन झाले आहे त्यामुळे मला हे माहीत नव्हते.
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मोना... तुमचे नाव मी...मोना-कशी असेच वाचतो आहे... "नाव आणि प्रतिमा" BB साठि चांगला आहे ID
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Runi
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| Thursday, April 26, 2007 - 7:26 pm: |
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मोना... तुमचे नाव मी...मोना-कशी असेच वाचतो >>>> टि. बा. अगदी... सेम पिंच "नाव आणि प्रतिमा" BB साठि >> मी तिकडे तसच लिहिलय
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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