|
|
Thread |
Posts |
Last Post |
  | Archive through March 01, 2007 | 20 | 03-01-07 5:15 am |
  | Archive through March 02, 2007 | 20 | 03-02-07 9:08 am |
  | Archive through March 02, 2007 | 20 | 03-02-07 4:17 pm |
  | Archive through March 04, 2007 | 20 | 03-04-07 2:30 pm |
  | Archive through March 06, 2007 | 20 | 03-06-07 8:32 am |
  | Archive through March 09, 2007 | 20 | 03-09-07 7:09 am |
  | Archive through March 13, 2007 | 20 | 03-13-07 6:56 pm |
  | Archive through March 15, 2007 | 20 | 03-15-07 7:11 am |
  | Archive through March 30, 2007 | 20 | 03-30-07 6:55 pm |
  | Archive through April 02, 2007 | 20 | 04-03-07 2:00 am |
  | Archive through April 04, 2007 | 20 | 04-04-07 12:25 pm |
  | Archive through April 06, 2007 | 20 | 04-06-07 6:27 am |
  | Archive through April 10, 2007 | 20 | 04-10-07 12:41 pm |
  | Archive through April 12, 2007 | 20 | 04-12-07 5:50 am |
  | Archive through April 13, 2007 | 20 | 04-13-07 4:18 am |
  | Archive through April 14, 2007 | 20 | 04-14-07 6:24 am |
  | Archive through April 17, 2007 | 20 | 04-17-07 5:14 pm |
  | Archive through April 23, 2007 | 20 | 04-23-07 11:39 am |
  | Archive through April 25, 2007 | 20 | 04-25-07 4:05 pm |
  | Archive through October 17, 2007 | 20 | 10-17-07 8:44 am |
  | Archive through October 18, 2007 | 20 | 10-18-07 5:31 pm |
  | Archive through March 13, 2008 | 20 | 03-13-08 8:52 am |
  | Archive through March 15, 2008 | 20 | 03-15-08 2:45 pm |
  | Archive through March 18, 2008 | 20 | 03-18-08 4:33 am |
  | Archive through March 18, 2008 | 20 | 03-18-08 4:31 pm |
  | Archive through April 04, 2008 | 20 | 04-04-08 6:46 am |
Chyayla
| |
| Friday, April 04, 2008 - 8:46 am: |
| 
|
लिंबुटिंबु, पोरं झाडावरुन पेरु, आंबे वगैरे पाडताहेत आणि हे ध्यान चड्डी सावरत ते गोळा करतंय असं वाटतंय राज्या एकदम सही प्रतिमा वाटते ही खि खि खि..
|
Dakshina
| |
| Friday, April 04, 2008 - 10:30 am: |
| 
|
झकास, मिशीवरुन हात फिरवत व दुसर्या हाताने दंडाची बेटकुळी कुरवाळत उभा असलेला कोल्हापूरचा पैलवान डोळ्यासमोर येतो>>> राज्या... 
|
Nkashi
| |
| Friday, April 04, 2008 - 10:45 am: |
| 
|
चिन्या१९८५, माझं आणि भूगोलाच तसं वाकडंच आहे अगदी अजुन सुद्धा जगाच्या नकाशात कुठला देश कुठे आहे हे सांगताना माझी फ़े - फ़े होते... ५ - ६ वीत असताना वेगवेगळ्या प्रदेशातील पिकं - अन्नधान्य यात तर मी नेमकी मार खायचे (मी आपली सगळीकडे sandard पिकांची नाव टाकायचे like गहू, ज्वारी etc. अगदी वाळवंटात सुद्धा)
|
Arch
| |
| Friday, April 04, 2008 - 5:28 pm: |
| 
|
दक्षिणा, घनदाट जंगलाच्या मध्यभागी एक पुराणं देऊळ असावं त्या देवळाच्या गाभार्यात आपण एकटे उभे आहोत असं काहीसं वाटतं >> राजा काही hint द्यायचा प्रयत्न करतो आहे की काय? ~ड 
|
काशी मी nkashI बद्दलच लिहित होतो,मी अजुन तुझ आकारमान कुठे पाहिलय??? nkashI भुगोलाच आणि माझही वाकडच आहे. राज्या ते घरोघरी डोक्यावर कपडे वगैरेच गाठोडं घेउन जाणार्या लोकांपैकी एक वाटतो फ़क्त तो कपडे नाही तर दुसरीच गोष्ट विकतो. पहा ना.... Rajaya,rajaya (रजया,रजया). विचार करा डोक्यावर रजयांच गाठोड घेउन ओरडतो आहे 'रजई लेSSSSSSलो!!!!!,रजई लेSSलोSSSS!!!!!'
|
Deepurza
| |
| Wednesday, April 09, 2008 - 11:04 am: |
| 
|
हा हा हा मस्तच
|
Palla
| |
| Sunday, April 27, 2008 - 12:10 pm: |
| 
|
आयटी आणि पूनम, या दोघी छान छान फ्रॉक घालुन, उंच टाचेचे सॅन्डल घालुन हातात पर्स फिरवीत निघाल्यात असे वाटते या दोघी रस्त्याने निघाल्या की ४, ५ माना तरी नक्की मोडत असतील अरे ह्या दोघी एवढ्या सुंदर दिसातात का? कि लोकांना वळुन बघायचा मोह व्हावा 
|
Gobu
| |
| Monday, May 19, 2008 - 5:19 pm: |
| 
|
ग़ोबु, एक इटुकला पिटुकला गुटगुटीत चेहरा राजा,
|
Rajya
| |
| Tuesday, May 20, 2008 - 5:37 am: |
| 
|
चिन्या १९८५, हजारो चिनी लोक एका ओळीत उभे केलेत आणि १९८५ नं. चा चिनी माणुस म्हणजे चिन्या १९८५ च्यायला, च्यायला म्हटल्यावर मला तरी कुठलीच प्रतिमा दिसत नाही. च्यायला हा माणुस असुच शकत नाही च्यायला हा एक उद्गार आहे. म्हणजे बघा, शेजार्याच्या कार्ट्याला अंगावर घ्यावं आणि याचीच वाट बघत होतो असा चेहरा करत त्याने शू केली की 'च्यायला' म्हणावं वाटतं मधल्या काळातला सिनेमा बघत बसलेलं असावं, मस्त रोमँटीक सीन चालु आहे, हीरो हीरोईनचे ओठ एकमेकाजवळ आलेत आता "ते" घडणार इतक्यात ओठांच्या ऐवजी फुलांची टक्कर दिसली की "च्यायला" म्हणावं वाटतं
|
Dakshina
| |
| Tuesday, May 20, 2008 - 10:26 am: |
| 
|
राज्या.... सहीच.... राज्या म्हणजे... लपंडावात सारखं ज्याच्यावर राज्यं येतं तो.....
|
राज्या भारीच लिहिलय की
|
Zakasrao
| |
| Tuesday, May 20, 2008 - 3:16 pm: |
| 
|
राज्या राज्याला न भेटता त्याच्या लिखाणावरुन त्याची एक प्रतिमा मनात तयार झाली होती. हा राज्या कसा सगळ्या राजांपेक्षा वेगळ्या (म्हणून तर ज ला य जोडलय. ) इस्पिकचा राजा कसा रुबाबदार असतो तसा. बाकीच्या राजाना त्याची सर नाही अस काहिस मला राजा विषयी वाटल होत. (आता कोणाला तो चौकट राजा वाटत असेल तर बघा बुवा. )
|
राज्या, अनुमोदन!! 'च्यायला' सारखंच दक्षिणाचंही! 'दक्षिणा' म्हटलं की तांब्याच्या ताम्हनात खण्णकन काहीतरी पडल्या सारखं वाटतं. किंवा कदाचित केरळ पर्यटनाची ब्रॅन्ड एम्बॅसिडर!! दोन्ही हातांनी भरगच्च सोन्याच्या बांगड्यांचा नमस्कार, कवटीतून मोगर्याचे गजरे आणि तेलाने थबथबलेले केस उगवलेत, डोळ्यांत अर्धा किलो काजळ, जरीच्या कांजीवरमवर रेशमी वेलबुट्टी... अय्योय्यो! ज़िंबळ्ली वण्ण्ण्डरफ़ुल्ल!! 
|
Sonchafa
| |
| Tuesday, May 20, 2008 - 5:44 pm: |
| 
|
राज्या सहीच!! सही योगेश, जिंबळ्ली वण्ण्ण्डर्फ़ुल्ल!!
|
Aashu29
| |
| Wednesday, May 21, 2008 - 2:11 am: |
| 
|
योगेश सही कवटीतून फ़ूलं हिहिहि :-)
|
Dakshina
| |
| Wednesday, May 21, 2008 - 4:34 am: |
| 
|
योगेश... अरे, आणि तिकडच्या बायकांच्या वजनाचं लिहायचं विसरलास की काय? मी नक्की सूट होईन....
|
Sonchafa
| |
| Wednesday, May 21, 2008 - 5:06 am: |
| 
|
झपूर्झा... वपुर्झा...दीपुर्झा.... उफ़्फ़ चार शब्द:P
|
|
चोखंदळ ग्राहक |
 |
महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
|
व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
|
पांढर्यावरचे काळे |
|
गावातल्या गावात |
|
तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
|
आरोह अवरोह |
|
शुभंकरोती कल्याणम् |
|
विखुरलेले मोती |
|
|
|
हितगुज दिवाळी अंक २००७
|
 |
|