|
Pendhya
| |
| Thursday, January 05, 2006 - 6:18 pm: |
| 
|
प्रल्हाद केशव अत्रे, यांच्या, लग्नाची बेडी या नाटकातले एक पद. प्रिय न कवणे, तुजसमान, अससी ना तूच प्राण, प्रणयगंध करित धुंद, भुलवित या जीवाला, तूच दिव्य बाला, तूच दिव्य बाला.
|
Riddhi
| |
| Sunday, June 17, 2007 - 5:29 pm: |
| 
|
प्रीतीच झुलझुल पानी वा-याची मन्जुल गानी रोमान्च सर्वान्गी गेले मी न्हाऊनी हा जीव वेडा होई थोडा थोडा वेड्या मनाचा बेफ़ाम घोडा दोड्त आला सखे तुझा बन्दा जरा प्रेमाचा रन्गु दे विडा साजना मी तुझी साजनी
|
|
|