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Dakshina
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| Thursday, April 14, 2005 - 5:33 am: |
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sa%yaat naahI Aalao svaPnaat yao} ka... ivasarayacao tirhI smarNaat saazlaolao to rUp p`omavaoDo pahUna jaa} ka.... )dyaat rMgalaolao laajaot gauMÔlaolao AÜzavarI ]Bao to gaa}na jaa} ka.... hsata naBaat tara hsata ÔUlaat vaara p`aNaat hasato to davaUna jaa} ka... tuJaI mhNaUnaI Gyaavao svaPnaIca ho GaDavao ih Aasa saanauilaXaI purvaUna Gao} ka...
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Priya
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| Monday, September 12, 2005 - 1:48 pm: |
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sauMdr to Qyaana ]Bao ivaTovarI È kr kTavarI zo]inayaa ÈÈ tuLsaI har gaLaM kasao pItaMbar È AavaDo inarMtr toica $p ÈÈ makr kuMDlao tLpnaI EavaNaI È kMzI kÝstuBa maNaI ivaraijat ÈÈ tuka mhNao maaJao hoica sava- sauK È pahIna EaImauK AavaDInao ÈÈ gaaiyaka : lata maMgaoXakr AaiNa [tr saMgaIt : EaIinavaasa KLo ABaMga : saMt tukarama
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Pendhya
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| Monday, January 02, 2006 - 11:20 am: |
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सनातन नाद हा भगवाना, साधु जना पहावे, फ़ुलवित दानत आचरित ज्ञाना, नाद - निनादे नारदा वदे, शील घे विषय गाना, सनातन नाद हा भगवाना. राग : काफ़ी. नाटक : संगीत सावित्री. ह्या नाटकाला संगीत होते बालगंधर्व आणी मास्टर कॄष्णराव यांचे.
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Pendhya
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| Friday, January 06, 2006 - 3:35 am: |
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सवतची भासे मला, सवतची भासे मला, दूती नसे ही माला,सवतची भासे मला.. नच एकांती सोडी नाथा, भेटू न दे हॄदयाला, सवतची भासे मला.. मानापमान.
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Paragkan
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| Friday, January 06, 2006 - 3:57 am: |
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सूरगंगा मंगला दंगवी गिरिजा, महेश्वर रंगला पाहता त्या रागिणीची नर्तने ऐकता करताल चंचल कंकणे खिन्नतेचा भार सारा भंगला गायकः पं. राम मराठे नाटकः जय जय गौरीशंकर
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Pendhya
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| Monday, January 09, 2006 - 5:34 am: |
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साध्य नसे मुनीकन्या, मज ही, परि वेडे मन ऐकत नाही, पाहुनी सखीच्या विविध विलासा, मन घेई हे बहु विश्वसा, स्मर जरी तुष्ट न होई, मी परि बहु सुख यांतच घेई, साध्य नसे मुनीकन्या, मज ही, परि वेडे मन ऐकत नाही. नाटक: सं. शाकुंतल.
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सर्जा गेल्यावरी अंधाराच्या सरी चांदणी एक न्हाई काळ्या चांदव्यात आशीचा चांदूबा दिसना गं... दिसना गं काळ्या चांदव्यात घाबरून लपली धरतीची बाळं कांबरून कांबळं आबाळाचं... आबाळाचं किरकिरती किडे, रात जणू रडे का दैवाची पावलं आडंनातं सर्जा बिगी येई तुझी जाई घरी डोई जीव धरी मायेच्या कुशीत... मायेच्या कुशीत कोमेजलं फूल करपेल येल दूरुन ती आग जीवाला जाळीत पार्वतीनं घातलं तप संबूसाठी आला तिच्या भेटी दयाळू धावत... दयाळू धावत नका धनी तथं कष्टू पारूसाठी परजाईच्या जीवाची पुरवा जी आस चित्रपट: भाव तेथे देव (१९६१) संगीत: जितेन्द्र आभिषेकी गीत: कवी आनंद निर्माता: निर्मल चित्र गायिका: लता मंगेशकर. काही शब्द चुकीचे लिहिले असतील तर कृपया दुरुस्त करा.
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Chafa
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| Tuesday, October 14, 2008 - 1:59 am: |
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सूर मागू तुला मी कसा? जीवना तू तसा, मी असा तू मला, मी तुला पाहिले एकमेकांस न्याहाळिले दुःख माझा तुझा आरसा एकदाही मनासारखा तू न झालास माझा सखा खेळलो खेळ झाला जसा गीतः सुरेश भट संगीतः हृदयनाथ मंगेशकर स्वरः अरूण दाते
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