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Arc
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| Sunday, March 28, 2004 - 5:10 am: |
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HE GANE PURN YETE KA KUNALA? akkan mati chikkan mati asshi mati surekh bai .... ..... MADHALE ATHAVAT NAHI, PAN PUDHE.. ...asshi sapithi surekh bai karanjya karavya asshya karanjya surekh bai tabaki thevavya asse tabak surekh bai shelyane zakave assa shela surekh bai maheri dhadava asse maher surekh bai khelaya milate asse sasar dwad bai konduni marite! ANI HE MAHIT AHE KA? MALA PURN ATHVAT NAHEE.. sasurichya vate, kuchukuchu kate... ANI TE ZIPRYA KUTRACHE GANE? ...charee darvaze lawa ga bai, lawa g bai ziprya kutrala soda g bai, soda g bai..
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Sayalimi
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| Sunday, March 28, 2004 - 7:10 am: |
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Hi Arc अक्कण माती इक्कण माती अSश्शी माती सुरेख बाई जातं ते रोवावं अस्स जातं सुरेख बाई सपीठी दळावी बाकी गाणं बरोबर आहे
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Sayalimi
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| Sunday, March 28, 2004 - 7:15 am: |
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AgaM to iJapáyaa ku~\yaacaM gaaNaM tulaa yaa ilaMk var imaLola http://www.marathiworld.com/sanskruti/paramparik/bhondala1.htm#nanda
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Raja
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| Saturday, August 07, 2004 - 10:21 am: |
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kyaa bat hai...kitti varsha zali hi gaani aikun...mala vatta ata bhondle pan banda zale asavet.great work people really great!!
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Mepunekar
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| Thursday, April 27, 2006 - 2:06 am: |
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Mala ajun ek gane athavle bhondlyache: Shivaji amcha raja Tyacha to torna killa Torna killyat sat vihiri Sat vihirit sat kamle Ek ek kamal todile Bhavani matela arpan kele Bhavani mata prasanna zali Shivaji rajyana talvar dili Talvar gheuni ala Hinduncha Raja to zala Hindunni tyache smaran karave Hadgyapudhe gane gave.
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zipzrta kutryache gane 'shevantiche ban'ya chadrakant kale yanchya cassetmadhe ahe.
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Asmaani
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| Thursday, September 28, 2006 - 4:00 am: |
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श्यामली, त्या गाण्याcई सुरुवात अशी आहे, अक्कणमाती चिक्कणमाती ओटा तो घालावा, अस्सा ओटा सुरेखबाई जातं ते रोवावं..."
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Suvikask
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| Friday, December 08, 2006 - 11:59 am: |
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अक्कण माती चिक्कन माती जात ते रोवावं अस्स जातं सुरेख बाई रवा पीठी दळावी अश्शी रवा पीठी सुरेख बाई करंज्या कराव्या अश्शा करंज्या सुरेख बाई तबकी भराव्या अस्स तबक सुरेख बाई शेल्याने झाकावं अस्सा शेला सुरेख बाई पालखीत नेऊन ठेवावा अश्शी पालखी सुरेख बाई माहेरी धाडावी अस्स माहेर सुरेख बाई खायाला मिळतं अस्स सासर द्वाड बाई कोंडुनी मारीतं
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Bee
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| Thursday, January 11, 2007 - 3:25 am: |
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आम्ही नागपुरकर ह्या बीबीवर मर्हाटमोळीने एक छान गाणे लिहिले आणि माहितीपण छान लिहिली ती इथे जपूण ठेवतो आहे. आमच्या कडे हि गाणि थोडि वेगळि म्हणतात. ति मी खालि देतेय. गडावर गड बत्तिस गड तिथला सोनार कारागिर त्याने घडविला कुड्यांचा जोड घ्या घ्या भुलाबाई कुड्यांचा जोड कशि घेवू दादा घरि नंण्दा जावा करतिल मझा हेवा, हेवा पदोपदि नंण्दा घरोघरि, नण्देचा बैल डोलत येइल, सोन्याच कारल झेलत येइल............ हे सगळ एकेका दगिन्यासठि म्हणायच (म्हणजे बांगड्या, पाट्ल्या इत्यादि) मला वाट्त हि सगळि गाणि म्हणजे 'भुलाबाई' या नवपरिणितेचि सासरि रुळण्याची कथा सांगतात ज्याचा शेवट भुलाबाईच्या मुलाच्या बारश्याने होतो (म्हणजे चांगलीच रुळलि कि भुलाबाई सासरि) म्हणुन या गाण्यात नंद (गोकुळातला) नसुन नणंद आहे. 'पहिलि ग पुजा बाई...' निटस आठवत नाहि मला, आईला विचारुन लिहिन पण त्यातिल 'अवसनि' म्हणजे अश्विनी पोर्णिमा ज्या दिवशि गंगेच्या पाण्यासारखा शुभ्र चंद्रप्रकाश असतो.
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Bee
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| Thursday, January 11, 2007 - 3:26 am: |
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जयवीने एक गाणे लिहिले तेही इथे जपूण ठेवतो आहे. मला पण एक आठवतंय....... नणदा भावजया दोघी जणी घरात तिसरं नव्हतं कोणी शिंक्यातलं लोणी खाल्लं कोणी ते खाल्लं वहिनीनी आता माझा दादा येईल गं दादाच्या मांडीवर बसेन गं दादा तुझी बायको चोरटी घे काठी घाल पाठी घराघराची लक्ष्मी मोठी मग......... यादवरा......... या राणी रुसुन बैसली कैसी सासुरवाशी सून घरात येईना कैसी सासरे गेले समजवयाला चला चला सुनबाई अपुल्या घराला पाटल्यांचा जोड देतो तुम्हाला पाटल्यान्चा जोड नको मला मी नाही यायची अपुल्या घराला ........... असा प्रतेयेक जण तिला समजवायला येतो तरी ती येत नाही. मग पतीराज येतात आणि मग ती आपल्या सासरी येते.
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