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ऍडमीन.. सर्व बीबींवर उजव्या बाजुला गणेशोत्सव बीबीची लिंक देता येईल का??
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Krishnag
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| Monday, August 28, 2006 - 5:55 am: |
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गणपती बाप्पा मोरया|| मंगलमुर्ती मोरया||
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हे देवाधिदेवा गजानना सगळ्यांना सुबुध्दी द्या. सगळ्यांना सुखी ठेवा! गणपती बाप्पा मोरया
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Deemdu
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| Monday, August 28, 2006 - 6:12 am: |
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मोदकवाल्या बप्पा तुझी किती किती नावे तुझ्या बारा नावांचे स्त्रोत्र रोज गावे पहिले नाव वक्रतुंड दुसरे एकदंत कृष्णपिंगाक्ष तिसरे चौथे गजवक्र लंबोदर पाचवे हे सहावे विकट विघ्नराजेंद्र सातवे आठवे धुम्रवर्ण नववे नाव भालचंद्र दहावे विनायक गणपती अकरावे बारावे गजानन अश्या नावांनी रे तुला नित्य आठवावे तुझ्या बारा नावांचे स्त्रोत्र रोज गावे
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Upas
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| Monday, August 28, 2006 - 7:26 am: |
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गणपती बाप्पा मोरया!! आज ऋषींची भाजी.. ऋषी पंचमी..
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Asami
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| Monday, August 28, 2006 - 1:39 pm: |
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गणपती बाप्पा मोरया , मंगलमूर्ती मोरया ||
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Dineshvs
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| Monday, August 28, 2006 - 3:18 pm: |
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उपास, ई भोजनाला येणार का ? ऋषीपंचमीची भाजी, दशमी, दही आणि दाण्याची चटणी, असा बेत आहे.
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Savani
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| Monday, August 28, 2006 - 3:40 pm: |
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आर्च, लालू, तुमच्याकडच्या गणपतींचे दर्शन घेतले बरं का! आणि हो, मोदक अप्रतीम झाले आहेत.
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Savani
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| Monday, August 28, 2006 - 3:42 pm: |
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वा!! दिनेशदा, आलेच बघा मी. ती सीताफ़ळं मात्र मी घेणार हं.
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Megha16
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| Monday, August 28, 2006 - 4:29 pm: |
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आर्च लालु दोघीचे गणपती छान आहेत. प्रसाद पन. दिनेशदा अरे वा बाकी काही नाही मिळाल तरी चालेल, पण एक सिताफळ मला. सावनी तुला एक मला एक चालेल ना. बंगलोर ला असताना रोज सिताफळ खात होते इतकी की खाऊन कंटाळा आला होता. आणी आता २ वर्षानी सिताफळ पाहीले.
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Seema_
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| Monday, August 28, 2006 - 4:38 pm: |
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नटनाट्य कलाकुसरी| नाना छंद नृत्य करी| टाळ मृदांग सरोवरी|उपांग हुंकारे|| स्थिरता नाही एक क्षण | चपळविशई अग्रगण | साजीरी मुर्ती सुलक्षण | लावण्येखाणी|| रुणझुणा वाजती नुपुरे | वाकी भोभाटती गजरे| घागरियासहित मनोहरे|पाऊले दोनी|| ईश्वरसभेस आली शोभा| दिव्यावरांची फ़ाकली प्रभा|साहित्यविशई | अष्टनायका होती|| ऐसा सर्वांगे सुंदरु| सकळ विद्यांचा आगरु| त्यासी माझा नमस्कारु|साष्टांग भावे||
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माझ्या तर्फ़े ebmm च्या गणेश पूजे साठी केलेला जेवणाचा प्रसाद
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Manuswini
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| Tuesday, August 29, 2006 - 12:29 am: |
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दीपांजली एक curious प्रश्ण तुम्ही ते चपाती वगैरे नैवेद्यात दाखवता का ग? मी इथे लालुच्या नैवेद्यात पण बघितली म्हणुन विचारते. आम्ही फक्त वरण,भात,एखादी उपवासाची भाजी, मोदक, शीरा,दही, भातावर एक धार शुद्ध तूप, तुळशीचे पान मुदेवर बस. कांदा,लसुण तर अजीबत नाही.
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मनु , कान्दा लसूण नसतोच . बाकी आमच्या घरी सर्व जेवण जे घरी करतो त्याचा नैवेद्य दाखवतात . चटणी कोशिंबिर , पोळी किंवा पुरी , दोन भाज्या , साधं वरण भात तूप आणि पाच गोड पदार्थ . यात तळलेला मोदक आणि करंजी must.
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Lalu
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| Tuesday, August 29, 2006 - 1:30 am: |
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सावनी, मेघा धन्यवाद. मनःस्विनी, आम्ही पण सगळ्या जेवणाचा नैवेद्य दाखवतो. स्वयंपाकात कान्दा लसूण नसतो. नैवेद्याच्या ताटात वेगळे मीठ वाढत नाहीत. मोरया!! उद्या कोण आणणार आहे प्रसाद?
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नमस्ते अस्तु लंबोदराय एकदंताय श्री वरदमूर्तये नमो नमः
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Asami
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| Tuesday, August 29, 2006 - 1:43 pm: |
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गजानना श्री गणराया आधी वंदू तुज मोरया ||
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Arch
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| Tuesday, August 29, 2006 - 2:21 pm: |
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जरा, कोणी मोरयाचा अर्थ सांगणार का? इतर कुठे असेल तर तिथे पाहीन आणि ही post उडवून टाकेन.
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Dineshvs
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| Tuesday, August 29, 2006 - 5:30 pm: |
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नैवैद्यात मीठ का वाढत नाहीत, याचे मी वाचलेले कारण असे. विष्णुने वृंदाला म्हणजेच तुळशीला प्रत्येक जन्मात लग्न करायचे वचन दिले. त्यावेळी तिने विचारले, तुझ्या आयुष्यात माझे स्थान काय, तर तु माझ्या आयुष्यात मीठासारखी आहेस, असे सांगितले CBDG नैवैद्यात तुळशीचे पान असतेच, म्हणुन मीठ वेगळे वाढत नाहीत. तुलसीविवाह नावाचा एक पौराणिक सिनेमा आला होता. त्यात जयश्री गडकर, रंधवा, अभि भट्टाचार्य वैगरे होते.
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Manuswini
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| Tuesday, August 29, 2006 - 5:46 pm: |
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बरोबर म्हणुनच आई मीठ वाढत नाही ताटात. पण न चुकता तुळशीचे पान असते मुदेवर
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