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Sanyojak
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| Sunday, August 27, 2006 - 12:25 am: |
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पर्याय ४ (उपहास) : कफल्लक, योगी, विनंती, यातना
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आजचे राजकारणी बनले हो योगी जनतेस बनवती कफ़ल्लक कितीही करा विनंती यांसी पण पडते पदरी यातना हो अनंत.
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विनन्ती करीतसे श्री साईबाबा आता सम्पवा या यातना दारी कफल्लकान्ची मान्दीयाळी कुणी खेळते, बावीस कोटीन्ची खेळी
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Aaftaab
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| Monday, August 28, 2006 - 9:08 am: |
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राऊळी माजले भक्तांचे काहूर योगीयान्चा पूर वाहतसे भक्ताच्या यातना देव दूर करती देवांची विनंती कोण ऐके? किती कर्मकांड किती खोटा भाव भक्तीविना देव कफ़ल्लक
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कफ़ल्लक करुन जनतेस फ़िरतात बनुन योगी असंख्य तक्रार, विनंत्या तरी प्रजा यातनाच भोगी रुप...
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Ashwini
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| Monday, August 28, 2006 - 10:37 pm: |
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पुरे यातना, संपव आता करी विनंती धनवान रोगी मृत्युशय्येवर सुखे झोपला कफल्लक तरी श्रीमंत योगी
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Soultrip
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| Thursday, August 31, 2006 - 12:34 pm: |
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कफल्लक साई सुवर्ण्-मेढीत होताना ठाकर्यांचा श्रीमान योगी कडाडतो, विनंती नव्हे, करुणाष्टके घालणार्या शेतकर्यांच्या यातना साहत देव मात्र गहिवरतो!
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Sanyojak
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| Wednesday, September 06, 2006 - 11:15 pm: |
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स्पर्धा समाप्त झाली आहे. प्रतिसादाबद्दल सर्वांचे आभार!! उपहास : Ashwini 29% 4 Limbutimbu 21% 3 Aaftaab 21% 3 Vidyasawant 14% 2 विजेती : अश्विनी अभिनन्दन!
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