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Meenu
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| Wednesday, January 31, 2007 - 6:48 am: |
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मानस मस्त जमलीये ..
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Kiru
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| Wednesday, January 31, 2007 - 7:05 am: |
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मिल्या.. तुफान बॅटींग रे.. मानस.. झक्कास..
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Salil
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| Wednesday, January 31, 2007 - 9:47 am: |
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/cgi-bin/hitguj/show.cgi?tpc=103385&post=387219#POST387219 वरती दीली आहे
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Seema_
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| Wednesday, January 31, 2007 - 12:41 pm: |
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मानस , मिल्या मस्त जमली आहेत दोन्ही विंडबन .
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Milya
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| Thursday, February 01, 2007 - 5:22 am: |
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परत एकदा धन्यवाद सर्वांना... मानस : हे विडंबन होते का हास्यकविता.. विडम्बन असेल तर मूळ गाणे कोणते होते ते पण सांग ना आम्हाला... सलिल : जर शुद्ध लिहिले असतेस तर वाचयला मजा आली असती
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Kandapohe
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| Wednesday, February 07, 2007 - 2:45 am: |
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मिल्या, मानस जबरीच. मानस विडंबन नसले तर हास्याकवितात हलव ही कविता. 
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Smi_dod
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| Monday, February 12, 2007 - 1:30 am: |
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मिल्या जबरी.... ह ह पु वा..आईशपथ्थ खुप दिवसानी हसले अशी... मानस मान गये..
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