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सुधीर कविता सुरेख आहे.. आणि चित्र तर खुप खुप छान...
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सुधीर ... मस्त रे .. चित्र तर फारच सुरेख आहे
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Suvikask
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| Tuesday, January 16, 2007 - 5:11 am: |
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सुधीर, कवितेवरून चित्र काढल्यासारख वाटतय... simply great !!
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Mankya
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| Tuesday, January 16, 2007 - 5:15 am: |
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मित्रा ( वैभव ), मीनु, लोपा ... फक्त दादच .. काहीतरी छान वाचायला मिळु द्या ना रे ! माणिक !
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Suvikask
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| Tuesday, January 16, 2007 - 5:21 am: |
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थोडा वेगळा विषय..सुचवा काही ओळी..धमाल येईल
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Jo_s
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| Tuesday, January 16, 2007 - 5:30 am: |
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मिनू, माणीक, हीम्स, गोळेकाका, लोपा, वैभव, sucheta धन्यवाद. सुधीर
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Shyamli
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| Tuesday, January 16, 2007 - 5:58 am: |
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क्या बात है सुधीर, मस्तच
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केला घोटाळा खाल्ला चारा गुरे म्हणतात ह्याला कोणीतरी मारा. श्री
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Bbhannat
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| Tuesday, January 16, 2007 - 7:21 am: |
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ह्याला कोणीतरी मारा.>>>> खरच राव.. .. ..
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Sarang23
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| Tuesday, January 16, 2007 - 7:55 am: |
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वा! सुधीर, छान रे दोस्ता! माणिक, अगदी चित्रकवितेसाठी perfect चित्र!
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Mankya
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| Tuesday, January 16, 2007 - 8:29 am: |
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मग सारन्गा एक मस्त कविता येऊ दे ना ! माणिक !
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Mankya
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| Tuesday, January 16, 2007 - 12:39 pm: |
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" तु फक्त सोबत रहा मी दुसर काही मागत नाही !" मित्रानो पुन्हा एक वेगळ चित्र आपल्यासमोर ठेवतोय ! तुमच्या सुन्दर कवितान्ची वाट बघतोय मित्रानो ! माणिक !
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कीतीही पळावं लागलं तरी हरकत नाही अशी सोबत असेल तर ऊन वार्यात थंडी पावसात कीतीही कष्टावं लागलं तरी हरकत नाही अशी सोबत असेल तर आयुष्याच्या वैराण वाळंटात सुखाचे ओऍसिस निर्मु तु सोबत असशील तर " तु फक्त सोबत रहा मी दुसर काही मागत नाही !"
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Jo_s
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| Friday, January 19, 2007 - 12:34 am: |
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श्यामली, सारंग धन्यवाद वरच्या चित्राबद्दल साथदेत एक मेका दूर जाऊ या वाटेवर ज्योत प्रेमाची मी सांभाळेन छ्त्र प्रेमाचे तू वर धर सुधीर
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ज्योत प्रेमाची मी सांभाळेन छत्र प्रेमाचे तु वर धर व्वा सुधीर फ़ार छान!!!!!!
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तु माझीच आहेस हे वचन तुला दिले, तुझ्या प्रेमाच्या सावलीत प्रेमाचे अंकुर फुलले, तुझे माझे प्रेम बघुन आकाश ही गहीवरले.
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Suvikask
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| Monday, January 22, 2007 - 1:34 am: |
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ही ज्योत घेऊन मी हाती धावत आहे फक्त जिंकण्यासाठी यश माझेच आहे, मला आहे खात्री कारण तु सदैव आहेस माझ्या पाठी उन्हा- पावसात दिवसा आणी रात्री
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