Ninavi
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| Friday, June 23, 2006 - 2:34 pm: |
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>>>> मन्डळी अजुनही कुजबुज अनेक जणांकडून lightly घेतले जातेय ते बघून चांगले वाटले. बाप रे! आपण हिला प्रोत्साहन दिलं की काय!! 
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वृतांत लेखना बरोबरच my crushes वरील लिखाणात देखील अचानक वाढ >>>> ह. ह. मस्त.
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वृतांत लेखना बरोबरच my crushes वरील लिखाणात देखील अचानक वाढ >>>> ह. ह. मस्त. <<< HH, बघ RP च अगदी मनापासून support आहे या statement ला . 
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>>>>गुलमोहराच्या झाडावर साहित्याची वटवाघुळे अगदि अगदि...
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Athak
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| Monday, June 26, 2006 - 1:47 am: |
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तू HH ची कुजबुज वाचलेली दिसत नाहीस वाटत काय वाचायच ' तेच ते '

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Nandita
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| Monday, June 26, 2006 - 2:49 am: |
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अथक किती हा आळशिपणा एकच मेसेज दोन्ही बीबीवर 
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Himscool
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| Monday, June 26, 2006 - 10:47 am: |
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एवढ्या उशिरा कुजबूजवर प्रतिक्रिया दिली तर ती नक्कीच तीच ती होई. म्हणून 'नो प्रतिक्रिया'...
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Milya
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| Tuesday, June 27, 2006 - 2:03 am: |
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ह. ह. काय बरेच दिवसांनी..... एकदम ह. ह. पु. वा... तुझे 'तेच ते' अगदी नाविन्यपूर्ण आहे की.... डाएट प्रोग्रॅम अगदी ह. ह. शैलीत... 
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