Vaibhu
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| Tuesday, June 20, 2006 - 5:36 am: |
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कशी कुणास ठावुक ति आज स्वप्नात आली, माझ्या मनीचे भाव स्वतच सागुन गेली........
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Shyamli
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| Tuesday, June 20, 2006 - 5:43 am: |
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कुठेतरीच शब्द आणि कुठेतरी भाव समजतात ना तरीही मनाला मनाचे घाव श्यामली!!!
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Mruda
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| Tuesday, June 20, 2006 - 5:43 am: |
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तुझ्या डोळ्यात अश्रु आभाळंही दाटलं…. निर्मळ तुझं मन पाहुन्… त्यालाही वाईट वाटलं…
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Meenu
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| Tuesday, June 20, 2006 - 5:52 am: |
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निर्मळ मनालाच का लागवी झळ सोशीक असेल त्यालाच का सोसावी लागते कळ
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Mruda
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| Tuesday, June 20, 2006 - 5:53 am: |
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श्यामली..... छान्च गं.... मना-मनांचं भेटणं हेच खरं असतं.... बाकी सगळं संपलं तरी हे आयुष्यभर पुरतं....
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Mruda
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| Tuesday, June 20, 2006 - 5:59 am: |
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मीनु... सही.... सोसंता येतं त्याच्याच तो सोसंण नशिबी लिहीतो सोसवेनासं झालं की त्याला उचलुन घेतो...
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Shyamli
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| Tuesday, June 20, 2006 - 6:12 am: |
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मीनु...वा मृ..लगे रहो नाही सोसवत पण करावं काय ह्या जगाचा असाच असतो उफराटा न्याय श्यामली!!!
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Shyamli
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| Tuesday, June 20, 2006 - 6:17 am: |
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जो तो जातो देऊन वेगळे वेगळे घाव आपण घ्यायचा असतो आपल्याला हवा तो भाव श्यामली!!!
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Mruda
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| Tuesday, June 20, 2006 - 6:22 am: |
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उफ़राट्या न्यायाची देवता आंधळी... "भोग" आणि "उपभोग" फ़सवणूकच सगळी...
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Shyamli
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| Tuesday, June 20, 2006 - 6:24 am: |
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क्या बात है मृ...
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तुझं माझं भेटण आत्ता जगालाही कळलयं चेहर्यावरचा आनंद आत्ता आईलाही कळलाय... रुप...
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मस्तच गं मृदा, श्यामलि आणि मीनु हा जन्मास मानवाने घातलेला रोग आहे इथे भोग कुणाचा कुणाचा उपभोग आहे
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न्यायदेवता आंधळिच असते पण लोक तर डोळस असतात तरिही माणुसकीचे सगळे नियम विसरतात... रुप...
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Shyamli
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| Tuesday, June 20, 2006 - 6:38 am: |
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जळो मेलं ते सोशीक असण आपणच गुंतणं आणि परत वर दु:ख.....भोग म्हणणं..... श्यामली!!!
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व्वा!!! श्यामली, मीनु, देव सहीच क्या बात है.....
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Princess
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| Tuesday, June 20, 2006 - 7:07 am: |
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सोशिक असण्याचे देवाने काय मला दिले बक्षिस, दिली कुंतीसारखी दु:ख अखंड म्हणाला आता भोगत बैस प्रिन्सेस
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आत्ता रोजचचं झालय सहन करीत राहणं हे शेवटचच म्हणतं सतत कुढत राहण... रुप... छान आहे प्रिन्सेस...
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Meenu
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| Tuesday, June 20, 2006 - 7:26 am: |
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हसतच मी आता वाट्टेल ते सहन करते अंधारातच फक्त मी डोळे पुसते
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Princess
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| Tuesday, June 20, 2006 - 7:27 am: |
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दु:ख नको म्हणुन मी देवाविरुद्ध पुकारले बंड, पण खर सांगु का, दु:खाविना आयुष्य अगदीच थंड (देवा म्हणजे परमेश्वर बरे का... मायबोली वरचा नाही काही... )
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हसत सहन करायला आत्ता मी सरावले आहे थोडी थोडी मी पण आत्ता अभिनय करायला शिकले आहे... रुप...
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