डायरी तुझ्या माझ्या क्षणांची सुवासिक कुयरी तुषार
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तुझ्या नजरेने केले किती हृदयावरती वार माझ्या डायरीच्या पानाला शब्दा शब्दाला विचार तुषार
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Meenu
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| Monday, June 12, 2006 - 1:21 pm: |
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डायरी जुन्या जखमांची आठवण झोंबरी
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डायरी प्रियेच्या गावाची मनमोहक वारी
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Meenu
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| Monday, June 12, 2006 - 1:25 pm: |
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माझ्या नजरेनी केलेली प्रेमाची उधळण घेतलीस मनातच ठेवुन आणि वार मात्र केलेस ना चिरंतन ? डायरीमधे लिहुन
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Meenu
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| Monday, June 12, 2006 - 1:28 pm: |
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डायरी दात आंबवणारी तरीही आवडणारी आंबट चिंबट कैरी
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Meenu
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| Monday, June 12, 2006 - 1:30 pm: |
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डायरी सारे गोड कडु शब्द बिनतक्रार सामावुन घेणारी
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तुझ्या प्रेम सिंचनाने तर माझ्या रोपट्याचे झाड झालंय डायरीत फक्त काही पानांना काही फुलांना मांडून ठेवलंय
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मीनू तुला एक चंद्र दिला, डायरी कुणी लिहिलेले प्रामाणिक क्षण काळाला कापून वाहून नेणारी
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डायरी वेड लावणारी कृष्ण बासरी
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Meenu
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| Monday, June 12, 2006 - 1:43 pm: |
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धन्यवाद तुशार .. तुही छानच लिहीतोस ... चल ही शेवटचीच .. डायरी म्हणलं की diary of ann frank आणी अनुदिनी दिलीप प्रभावळकरांच दोन्ही आठवलं त्यावरुन .. डायरी कधी मांडते पिडीताची व्यथा डायरी कधी होते हलकी फुलकी कथा
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डायरी हळूच सांगणारी सखी लाजरी तुषार जोशी, नागपूर
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Swaroop
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| Monday, June 12, 2006 - 3:25 pm: |
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रोज तुला वगळायच ठरवून रोज पुन्हा पडतो फशी..... तुझ नाव लिहुन घेतल्याविना मिटतच नाही 'रोजनिशी'.....
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Swaroop
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| Monday, June 12, 2006 - 3:47 pm: |
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जाळीदार पाने, सुकलेल्या पाकळ्या अन तू दिलेल्या कॅडबर्यांचे रॅपर.... लिहण्यापेक्षा या गोष्टी साठविण्यासच होत राहतो माझ्या डायरीचा वापर.....
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Shyamli
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| Monday, June 12, 2006 - 11:23 pm: |
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वैशाली..काय ग वादळ की हे... रुप तूपण सुटलीयेस... मीनू,तुषार छान रंगली होती हं झुळुक देवा,ज्यो..,स्वरूप बढीयां रे
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Ajjuka
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| Monday, June 12, 2006 - 11:53 pm: |
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सुकलेल्या पाकळ्यांचे रंग पानापानांवर पडलेले डाग जखमी शब्दांचा संग बेमुर्वत वेदनेची जाग
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Meenu
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| Tuesday, June 13, 2006 - 12:11 am: |
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लग्न म्हणजे मोठीच गम्मत एकाच्या डायरीत कविता पानोपानी दुसर्याची डायरी मांडते खर्चापानी
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Meenu
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| Tuesday, June 13, 2006 - 12:12 am: |
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माझ्या डायरीत माझ्या कविता नाही मावत तुझी डायरी राहते शोधत जमाखर्चातली तफावत
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Meenu
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| Tuesday, June 13, 2006 - 12:20 am: |
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माझी डायरी नको वाचुस सहज येता जाता त्यात मांडलीये मी माझ्या मनीची सारी व्यथा
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Meenu
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| Tuesday, June 13, 2006 - 12:23 am: |
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नसते मी जेव्हा तेव्हा तुला जाणवणार नाही कदाचित माझं नसणं असते मी तेव्हा मात्र चिंब भिजवुन जाईल माझं बेभान होऊन बरसणं
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